भारत के फार्मा सेक्टर ने निर्यात के मोर्चे पर दमदार प्रदर्शन किया है। बीते 8 साल में भारत ने दवाओं के निर्यात में उम्मीद से भी बेहतर प्रदर्शन करते हुए 146% की भारी वृद्धि दर्ज की है। यही वजह है कि भारत को आज दुनिया का बड़ा दवाखाना कहा जाने लगा है।
पूरी दुनिया में निर्यात की जा रही भारतीय दवाएं
भारत की दवाएं आज पूरी दुनिया में निर्यात की जा रही है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि साल 2013-14 के अप्रैल-जुलाई माह में दवा उद्योग का निर्यात 20,596 करोड़ रुपए था जो 2022-23 की इसी अवधि में 50,714 करोड़ रुपए हो गया। यानि दवाओं के निर्यात में 146% की भारी वृद्धि हुई।
सर्वे सन्तु निरामया की भावना से देश बढ़ रहा आगे
”सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया।” की भावना के साथ भारत ने दुनिया के रोगों को हरने में बड़ा योगदान अदा किया है। कोरोना काल में तो पूरी दुनिया इसके प्रत्यक्ष प्रमाण की गवाह बनी जब भारत ने विश्व मानवता को समर्पित भारतीय दवा उद्योग के प्रयासों से तैयार की गई भारतीय वैक्सीन को मानवता को बचाने में समर्पित कर दिया।
केंद्र सरकार के प्रयासों से मिली सफलता
गौरतलब हो, पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के सफलतम प्रयासों से अप्रैल-जुलाई 2022 में 2013 की इसी अवधि की तुलना में भारतीय दवाओं के निर्यात में 146% की वृद्धि दर्ज की गई है। पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत को वह सुनहरा अवसर मिला जब कोरोना काल में भारत ने दुनिया का विश्वास जीतने का महत्वपूर्ण कार्य किया।
कई ऐतिहासिक कीर्तिमान किए स्थापित
याद हो, पीएम मोदी के नेतृत्व में पूरी दुनिया और देशवासियों में विश्वास और उम्मीद की अलख जगाकर भारत ने कोरोना काल में ही कई ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किए। जैसे वैक्सीन निर्माण, मास्क उत्पादन, ऑक्सीजन प्लांट निर्माण और मेडिकल से जुड़े कई जरूरी उपकरण इत्यादि को लेकर देश में इतने बड़े स्तर पर काम हुआ कि आने वाले समय में अब शायद ही कभी इनकी कमी देश को खलेगी। केवल इतना ही नहीं भारत ने इतने व्यापक स्तर पर दवाओं से लेकर मेडिकल से जुड़े तमाम जरूरी उपकरणों का निर्माण किया कि उन्हें अन्य देशों में जरूरत पड़ने पर भेजा भी गया। यही वह कदम था जब पूरी दुनिया कोरोना के समक्ष लाचार नजर आ रही थी लेकिन भारत उस मुश्किल घड़ी में भी पूरी दुनिया की मदद करने के लिए आगे हाथ बढ़ा रहा था।
2030 तक भारतीय फार्मा बाजार 130 अरब US डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद
ऐसा नहीं है कि भारतीय दवाओं को लेकर दुनिया की निर्भरता कोरोना काल में ही बढ़ी है बल्कि इससे पहले भी दुनिया के तमाम देश जिनमें कई विकसित राष्ट्र भी शामिल हैं भारत से बड़े स्तर पर दवा आयात करते रहे हैं। यही कारण है कि वर्ष 2030 तक भारतीय फार्मा बाजार के 130 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढने की उम्मीद व्यक्त की जाती है। वहीं 2025 तक भारत में चिकित्सा उपकरणों के उद्योग के 50 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है।
भारतीय दवा उद्योग के लिए कैसे निकला प्रगति का रास्ता ?
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारतीय दवा उद्यम को सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया और साथ में प्रगति करने का रास्ता निकाला गया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत को कोविड के खिलाफ लड़ाई में विश्व स्तर पर सराहना मिली है। महामारी के दौरान भारतीय फार्मा उद्योगों ने देश की जरूरतों को पूरा करते हुए 120 से अधिक देशों को आवश्यक दवाओं की आपूर्ति की। उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल दुनिया का सबसे बड़ा कोविड 19 टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया बल्कि अन्य देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के वैश्विक प्रयास भी किए जिसे लेकर भारत केंद्र में रहा।
केंद्र सरकार के प्रयासों से ही कोविड 19 संकट को एक अवसर में बदलने के लिए भारतीय दवा उद्योग को एक बड़ा मंच मिला। इससे सेक्टरों में प्रवेश के आवश्यक स्तरों को प्राप्त करने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और क्षमता बढ़ाने में काफी मदद मिली। भारत ने पूरे विश्व में ”मेक इन इंडिया” मुहीम को सार्थक बनाने के लिए घरेलू और वैश्विक कंपनियों दोनों को प्रोत्साहित किया। ऐसे में इंडियन फार्मा के लिए आने वाले दिन और भी सुनहरे साबित हो सकते हैं।
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