International Nurses Day : आज विश्व कोरोना वायरस महामारी से एकजुट होकर लड़ रहा है।  मुश्किल की इस घड़ी में स्वास्थ्यकर्मियों, डॉक्टर्स, नर्सेस को असली हीरो के रूप में जाना जा रहा है। जिनके ऊपर लोगों की जान बचाने की जिम्मेदारी है।  ऐसे में आज का दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day) है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल को आधुनिक नर्सिंग की जनक के तौर पर जाना जाता है। उनके जन्मदिवस के खास मौके पर अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है।

फ्लोरेंस के पिता नहीं चाहते थे कि वे नर्स बनें 
12 मई 1820 को इटली के फ्लोरेंस में विलियम नाइटिंगेल और फेनी के घर जन्मीं फ्लोरेंस नाइटिंगेल इंग्लैंड में पली-बढ़ीं। पिता विलियम फ्लोरेंस की इस इच्छा के खिलाफ थे, क्योंकि नर्सिंग को उस वक्त सम्मानित पेशा नहीं माना जाता था। अस्पताल भी गंदे होते थे और बीमारों के मर जाने से डरावना जैसा लगता था। फ्लोरेंस 1851 में उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई शुरू कर दी। 1853 में उन्होंने लंदन में महिलाओं का अस्पताल खोला।

सैनिकों का इलाज करने युद्धस्थल पर पहुंच जाया करती थीं नाइटिंगेल
साल 1854 में जब क्रीमिया का युद्ध हुआ तब ब्रिटिश सैनिकों को रूस के दक्षिण स्थित क्रीमिया में लड़ने को भेजा गया। ब्रिटेन, फ्रांस और तुर्की की लड़ाई रूस से थी। युद्ध से जब सैनिकों के जख्मी होने और मरने की खबर आई, तो फ्लोरेंस नर्सों को लेकर वहां पहुंची। बहुत ही बुरे हालात थे। गंदगी, दुर्गंध, उपकरणों की कमी, बेड, पेयजल आदि तमाम असुविधाओं के बीच काफी तेजी से बीमारी फैली और सैनिकों की संक्रमण से मौत हो गई। फ्लोरेंस ने अस्पताल की हालत सुधारने के साथ मरीजों के नहाने, खाने, जख्मों की ड्रेसिंग आदि पर ध्यान दिया। सैनिकों की हालत में काफी सुधार हुआ।

सैनिकों ने दिया ‘लेडी विद लैंप’ का दर्जा 
सैनिकों की ओर से उनके घरवालों को फ्लोरेंस चिट्ठियां भी लिखकर भेजती थीं। रात में हाथ में लालटेन लेकर वह मरीजों को देखने जाती थीं और इसी कारण सैनिक आदर और प्यार से उन्हें ‘लेडी विद लैंप’ कहने लगे। साल 1856 में वह युद्ध के बाद लौटीं, तो उनका यह नाम प्रसिद्ध हो गया था।
13 अगस्त, 1919 को फ्लोरेंस नाइटिंगेल का निधन हो गया। फ्लोरेंस नाइटिंगेल के सम्मान में उनके जन्मदिन को नर्स दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की गई।

 

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