इंटक से सम्बद्ध राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन के उपाध्यक्ष एके झा ने भारतीय मजदूर संघ पर जमकर हमला बोला। उन्होंने जारी बयान में कहा कि सत्ताधारी दल का श्रमिक संगठन केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार से मिलकर लगातार इस बात का प्रयास कर रहा है कि केंद्र सरकार 4 नए लेबर कोड को पूरे देश में लागू करने का काम शुरू कर दे।
श्री झा ने कहा कि भाजपा सरकार पूंजीपतियों के हित में नए लेबर कोड को देश में थोपना चाहती है। इस विषय पर देश के केंद्रीय श्रमिक संगठनों से कोई सलाह मशवरा नहीं किया है। जबरन इस कानून को मजदूरों पर थोपने का प्रयास चल रहा है। सरकार चाहती है कि सप्ताह में 40 घंटे काम हो, लेकिन यह काम पूंजीपतियों की इच्छा अनुसार 4 दिन या 2 दिन या 3 दिन में कर लिया जाए। 12- 12 घंटे की शिफ्ट करने की इजाजत भी सरकार ने दे दी है। पूरी दुनिया लंबे संघर्ष के बाद 8 घंटे के शिफ्ट के कानून को चला रही है। इस कानून में हड़ताल करने का अधिकार को समाप्त किया गया है। मजदूर संगठन और मजदूरों की आपत्ति को नजरअंदाज किया गया है। औद्योगिक विवाद अधिनियम को न्यायालय के बजाय लोकल प्रशासन के हवाले करने का प्रावधान है ताकि फिर से सत्ता के बल पर मजदूरों की आवाज को दबाने का काम पूंजीपतियों को मदद करने शुरू हो सके ।
श्री झा ने कहा कि भारत के वर्तमान सरकार पूंजीपतियों के इशारे पर पूंजी पतियों के लिए ना केवल कानून बना रही है बल्कि पुरानी सुविधाओं को कम किया जा रहा है। श्री झा ने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम 1956 में भारत सरकार के द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने 5 करोड़ रुपए की पूंजी से एलआईसी को बनाया था और आज की तारीख में सरकार के इस कंपनी के पास लगभग 35 लाख करोड़ अपनी जमा पूंजी है जिसका 80 प्रतिशत खर्च भारत सरकार देश हित में करती है। इसके निजीकरण का रास्ता तैयार करने के लिए भाजपा की वर्तमान सरकार को अपनी साजिश का शिकार बना कर पूंजीपती अपने हाथ में लेना चाहती है, यह दुर्भाग्य है। कोरोणा संक्रमण में हमारी सरकार ने कारपोरेट घरानों को 20 प्रतिशत टैक्स में छूट दी। इसका कोई भी लाभ रोजगार सृजन में नहीं हुआ। हमारे बैंकों की हालत खराब हो गई। साढ़े छ लाख करोड़ रुपया रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को निर्देशित करके भाजपा सरकार ने राइट ऑफ करा दिया। रोजगार के अवसर बंद हो गए और महज कोरोना महा संक्रमण के दौरान देश में 14 करोड़ लोग बेरोजगार हुए।
श्री झा ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के निर्देश पर डॉ मनमोहन सिंह ने अपनी सरकार के दौरान किसानों के साठ हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया था, मनरेगा लागू किया। लोगों को राइट ऑफ जॉब दिया। लोगों को 300 रुपए प्रतिदिन मजदूरी पेमेंट कराने की सुनिश्चित व्यवस्था कराई, जिससे मजदूरों का पलायन रूका। पिछले 7 साल में भाजपा सरकार ने मनरेगा योजना के तहत भी राशि का आवंटन लगभग बंद कर दिया है। लोगों को राइट ऑफ जॉब छीन लिया गया है। पब्लिक सेक्टर जहां रोजगार के अवसर बनते थे। जहां रीजनल इकोनामिक अन बैलेंस रोकने का ईमानदार प्रयास होता था। लाखों नौजवानों हर साल रोजी रोटी मिलती थी। पब्लिक सेक्टर देश के विकास के एक मजबूत स्तंभ हैं। देश को पब्लिक सेक्टर पर गर्व था, लेकिन पब्लिक सेक्टर्स को बेचा जा रहा हैै। इंटक को इसी साजिश के तहत बड़ी चालाकी से भाजपा सरकार ने मजदूरों की आवाज को मजबूती से दबाने के लिए सीआईएल के दसवें वेज बोर्ड से लेकर अब तक राजनीतिक ताकत के बल पर बाहर रखने का काम किया है।
श्री झा ने कहा कि फेडरेशन को मजदूरों पर विश्वास है। सीआईएल के 11वें वेज के लिए गठित जेबीसीसीआई में इंटक के प्रतिनिधित्व को लकर राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विधायक कुमार जय मंगल ने कानून मंत्री से बात की, कोयला सचिव से बात की। श्रम सचिव से बात किया। सीआईएल चेयरमैन को पत्र लिखा गया। अंततः कोयला कामगारों की रक्षा के लिए, संयुक्त मोर्चा को मजबूत रखने के लिए, मजदूरों की आवाज को बुलंद करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जी संजीवा रेड्डी के निर्देशन में न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाया। श्री झा ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
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