नागपुर, 28 मई। इंटक से सम्बद्ध राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन के महासिचव एसक्यू जामा ने केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखकर नीतियों को लेकर सवाल उठाए हैं और कोयला कामगारों की नाराजगी की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है।
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श्री जामा ने पत्र में कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा कोयला उद्योग एवं कोल इंडिया से संबंधित अनके नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं। इसमें मुद्रीकरण नीति, सीएमपीडीआईएल एवं एमईसीएल का मर्जर, बीसीसीएल में 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की सहमति आदि निर्णय शामिल हैं। इस तरह के नीतिगत निर्णय को लेकर कोयला उद्योग के प्रमुख पांचों श्रमिक संगठनों से न ही संपर्क किया जा रहा है और न ही कोई वार्ता। इंटक नेता ने कहा कि सीआईएल और अनुषांगिक कंपनियों को कमजोर करते हुए निजीकरण की प्रक्रिया तेज की जा रही है।
श्री जामा ने अपने पत्र में जेबीसीसीआई के मुद्दों को भी उठाया है। मजदूरों की मेडिकल जांच और आश्रितों को नौकरी के प्रावधानों एवं अन्य मुद्दों के अमलीजामा पर अघोषित रोक लगा दी गई है। जेबीसीसीआई- 11 की बैठकों में भी वेतन समझौते को लेकर कोई प्रगति नहीं हो रही है।
राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन के महासिचव एसक्यू जामा ने कहा कि कोयला कामगारों में निराशा और नाराजगी बढ़ रही है। फेडरेशन सरकार की सभी नीतियों का विरोध करता है।
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श्री जामा ने कोयला मंत्री के समक्ष नीतियों को लेकर श्रमिक संगठनों से वार्ता करने की मांग रखी है। इस ओर ध्यान नहीं देने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
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