धनबाद, 23 फरवरी : इंटक (INTUC) से सम्बद्ध राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन के महामंत्री एके झा ने बीएमएस (BMS) के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी को श्रमिकों के अधिकारों के प्रति उदासीन और झूठे एवं मनगढ़ंत आरोप लगाने वाल नेता करार दिया है।

एके झा ने जारी बयान में कहा है कि 12- 13 फरवरी, 2025 को आरएसएस मुख्यालय, नागपुर में अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ (ABKMS- BMS) के 19वें त्रिवार्षिक सम्मेलन के दौरान बीएमएस नेता के. लक्ष्मा रेड्डी ने केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी की मौजूदगी में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आरोप लगाए हैं और कोयला मजदूरों के पीएफ के 722 करोड़ रुपये डीएलएफ बॉन्ड में निवेश की सीबीआई जांच की मांग की है।

राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन के महामंत्री एके झा ने इसका कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा है कि वर्ष 2014 से अब तक केंद्र में भाजपा की सरकार है। जब सरकार आपकी है, तो जांच करा लें। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। श्री झा ने कहा कि श्री रेड्डी के झूठे और मनगढ़ंत कथित आरोपों की निंदा करता हूं और सार्वजनिक रूप से माफी की मांग करता हूं।

श्री झा ने कहा कि डीएचएफएल के ऋणपत्रों में मोचन के संबंध में घटनाक्रम 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद 2015 में शुरू हुआ। यह दोषपूर्ण निवेश यूपीए शासन के दौरान नहीं किया गया था। यदि डीएलएफ और कांग्रेस नेता के बीच कोई संबंध है तो आपकी सरकार पिछले 10 वर्षों के दौरान क्या कर रही थी?

राकोमयू महामंत्री ने कहा कि चूंकि श्री रेड्डी ने केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी की मौजूदगी में आरोप लगाया है, तो मैं मांग करता हूं कि सीबीआई जांच गठित करवाएं।

श्री झा ने श्री रेड्डी को इंगित कर कहा कि आपने कोयला प्रभारी का पद संभालने के बाद से कोयला मामलों को प्रभावी ढंग से नहीं संभाला है। आपकी नियुक्ति के बाद से, कोयला उद्योग के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों, जैसे कि उत्पादन में गिरावट, खदान सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चिंताएँ, पर्यावरणीय मुद्दे, और श्रमिकों के अधिकारों से जुड़े विवाद, का समाधान करने में आपने सक्रियता और नेतृत्व का प्रदर्शन नहीं किया है। कोयला उत्पादन में आई कमी, जिसके कारण बिजली संकट पैदा हुआ और कई उद्योग प्रभावित हुए, इसका जिम्मेदार आपकी निष्क्रियता को ठहराया जा सकता है। खदान सुरक्षा उपायों की अनदेखी के कारण दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे श्रमिकों और उनके परिवारों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पर्यावरणीय नियमों की अवहेलना के कारण प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ी हैं, जिससे स्थानीय समुदायों का जीवन प्रभावित हुआ है। श्रमिकों के अधिकारों के प्रति आपकी उदासीनता के कारण, वेतन में देरी, अनुचित काम के घंटे और शोषण जैसी समस्याएँ बढ़ी हैं। आपकी निष्क्रियता ने कोयला उद्योग को एक नाजुक स्थिति में ला दिया है और इससे लाखों श्रमिकों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

एबीकेएमएस में आपके कई सहयोगी 1972-73 में भारत की संपूर्ण कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साहसिक कदम की सराहना करते हैं। यह राष्ट्रीयकरण एक ऐतिहासिक कदम था जिसने कोयला उद्योग में काम करने वाले लाखों श्रमिकों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाए। इससे न केवल उन्हें बेहतर वेतन और समय पर भुगतान, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और शिक्षा जैसी सुविधाओं तक पहुँच मिली, बल्कि उनके काम करने की परिस्थितियों में भी सुधार हुआ और उनके परिवारों को बेहतर जीवन स्तर मिला। राष्ट्रीयकरण से पहले, कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों को अमानवीय परिस्थितियों, कम वेतन और शोषण का सामना करना पड़ता था। राष्ट्रीयकरण ने इन शोषणकारी प्रथाओं को समाप्त कर दिया और श्रमिकों को सम्मान और गरिमा प्रदान की। उन्हें संगठित होने, अपनी आवाज उठाने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने का अधिकार मिला।

श्री झा ने कहा कि आपकी अगुवाई में, आपकी यूनियन कोयला श्रमिकों के हितों की रक्षा करने में विफल रही है। यह रिकॉर्ड में दर्ज है कि जब भी कोयला उद्योग में इंटक सहित अन्य 4 सक्रिय यूनियनें, जैसे कि सीटू, एटक, एचएमएस संयुक्त आंदोलन शुरू करने के लिए आपसे संपर्क करती है, तो आपने सहयोग करने से इनकार कर दिया है। आपने वेतन वृद्धि, बेहतर कामकाजी परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा लाभों जैसे मुद्दों पर संयुक्त मांगों को लेकर आंदोलन करने के लिए इन यूनियनों के प्रस्तावों को बार-बार खारिज कर दिया है। आपने इन यूनियनों द्वारा उठाए गए मुद्दों को नजरअंदाज किया है और उनके साथ बातचीत करने से भी परहेज किया है। यह आपके नेतृत्व की प्रतिबद्धता और एकजुटता के प्रति उदासीनता को दर्शाता है। श्रमिक एकता के महत्व को समझने में आपकी विफलता ने विभिन्न यूनियनों के बीच दरार पैदा की है, जिससे प्रबंधन को अपनी शर्तों को मनवाने और श्रमिकों के अधिकारों का हनन करने का अवसर मिला है। आपकी यह निष्क्रियता कोयला श्रमिकों के लिए हानिकारक है और इससे उनके अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए एकजुट आवाज उठाने की यूनियन की क्षमता कमजोर होती है।

राकोमयू महामंत्री ने कहा कि, श्री रेड्डी जैसे पुराने अनुभवी व वरिष्ठ नेता को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। यह गैर जिम्मेदाराना बयान है। ऐसा लगता है कि वे गलतफहमी के शिकार हैं। 18 मार्च को केंद्रीय श्रमिक संगठनों का जो अधिवेशन है, उस कारण मजदूरों को दिग्भ्रमित किया जा रहा है।

श्री झा ने कहा कि इस तरह का बयान मूल सवालों से भटकाने के लिए दिया गया है। वर्तमान में प्राइवेटाइजेशन का विरोध व एमडीओ नीति के विरोध की जगह, मेडिकल अनफिट को रोजगार नहीं दिए जाने का विरोध की जगह इस तरह की अशोभनीय बयान सर्वथा अनुचित है। यह प्रतिशोध की भावना से दिया गया बयान है, जिसका इंटक जोरदार प्रतिरोध करती है।

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