कोरबा (IP News). छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में लिथियम (Lithium) का भंडार मौजूद है। परमाणु खनिज अन्वेषण और अनुसंधान निदेशालय (AMD) के सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। सर्वे का जो रिजल्ट आया है, इसके अनुसार जिले में पर्याप्त मात्रा में रेअर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements) की उपलब्धता है। हालांकि अभी इस पर शोध जारी है।
जानकारी के अनुसार जिले के कटघोरा वनमंडल के गढ़हटरा क्षेत्र में लिथियम की उपलब्धता को लेकर सर्वे किया गया था। 100 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र से 138 नमूने एकत्र किए गए थे। इन नमूनों की जांच के बाद पता चला कि यहां रेअर अर्थ एलिमेट्स के साथ ही इससे संबंधित तत्वों की पर्याप्ता मात्रा में मौजूदगी है।
हाल ही में बेंगलुरु कर्नाटक से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित मांड्या में लिथियम का भंडार मिला है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह भंडार 1600 टन का हो सकता है।
यहां बताना होगा कि भारत अब लिथियम को लेकर चीन से अपनी निर्भरता पूरी तरह से खत्म करने के प्रयास में है। इसी के तहत अर्जेंटीना की एक कंपनी के साथ डील (India Argentina agreement for lithium) की गई है।
क्या है लिथियम
लिथियम एक रासायनिक पदार्थ है, जिसे सबसे हल्की धातुओं की श्रेणी में रखा जाता है। यहां तक कि धातु होने के बाद भी ये चाकू या किसी नुकीली चीज से आसानी से काटा जा सकता है। इस पदार्थ से बनी बैटरी काफी हल्की होने के साथ-साथ आसानी से रिचार्ज हो जाती है। लिथियम का इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरियों में होता है और इस क्षेत्र में चीन का भारी दबदबा है। री के विशिष्ट गुणों के कारण इसका इस्तेमाल स्मार्ट फोन, एचडी डिस्प्ले, इलेक्ट्रिक कार, वायुयान के महत्त्वपूर्ण उपकरण, परमाणु हथियार और अंतरिक्ष कार्यक्रमों के साथ कई अन्य महत्त्वपूर्ण तकनीकी विकास में होता है।
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आसान होगा स्वदेशी बैटरी निर्माण
लिथियम के स्रोत पर अधिकार होने के बाद भारत के लिए अपने देश के अंदर ही बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा। नीति नीति आयोग इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रही है जिसमें भारत में बैटरी की गीगाफैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी। भारत में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत भी काफी कम होगी, क्योंकि बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का लगभग 30 फीसदी होती है।
विदेशों में माइंस खरीदने की तैयारी
साल 2019 में खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (Khanij Bidesh India Ltd) नाम से एक कंपनी बनाई गई। ये कंपनी तीन सरकारी कंपनियों को मिलाकर बनाई गई है। इसका मकसद लिथियम जैसे तत्वों को विदेशों से मंगाना है ताकि एनर्जी के क्षेत्र में देश पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो सके। अर्जेंटीना की एक फर्म से हालिया समझौता इसी दिशा में कदम है। उसके पास लिथियम का 3.32 टन से ज्यादा का भंडार है।
खनन के दुष्प्रभाव
दुर्लभ मृदा तत्त्व अंतरिक्ष तथा अन्य तकनीकी विकास के लिये बहुत ही आवश्यक हैं, लेकिन इसके खनन के अनेक दुष्प्रभाव भी हैं:
- प्राकृतिक तटों और उन पर आश्रित पारिस्थितिकी प्रणालियों की क्षति।
- कई महत्त्वपूर्ण और दुर्लभ प्रजातियों के वास स्थान इस प्रक्रिया में नष्ट हो जाते हैं।
- तटों के प्राकृतिक तंत्र की हानि जिससे मृदाक्षरण जैसी अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- दुर्लभ मृदा तत्त्वों के खनन तथा प्रसंस्करण से बड़ी मात्रा में जल प्रदूषण होता है तथा Monazite जैसे तत्त्वों में
- यूरेनियम (0.4%) की उपस्थिति से इसके खतरे और भी बढ़ जाते हैं।