कोरबा (IP NEWS). छत्तीसगढ़ राज्य में पहली बार ऐसा हुआ है कि चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में विद्युत आूपर्ति में कमी दर्ज नहीं की गई है। राज्य में अप्रेल से सितम्बर, 2020 के दौरान 14,979 मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता रही। इतनी ही बिजली उपलब्ध हुई। पीक अवर में केवल 8 मेगावाट की कमी जरूर दर्ज की गई। यहां बताना होगा कि छत्तीसगढ़ को राज्य सरकार के थर्मल विद्युत संयंत्रों से 2080 मेगावाट एवं जल विद्युत संयंत्र से 120 मेगावाट बिजली मिलती है। शेष बिजली की आपूर्ति केन्द्रीय कोटे से होती है। देखें 10 वर्ष के दौरान पहली छमाही में बिजली की आवश्यकता, उपलब्धता एवं कमी का विवरण:
वर्ष आवश्यकता उपलब्धता कमी
2020 14979 14979 0
2019 16441 16439 2
2018 13665 13638 27
2017 13723 13656 68
2016 12212 12159 53
2015 12507 12294 213
2014 10614 10452 162
2013 9673 9575 98
2012 8656 8501 158
2011 7132 6979 153
(नोट: आंकड़े मिलियन यूनिट में)
पश्चिम क्षेत्र में भी कमी का आंकड़ा शून्य पर
यहां बताना होगा कि देश की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था 5 क्षेत्र में विभाजित है। पश्चिम क्षेत्र में छत्तीसगढ़ सहित गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट, दमन और दिउ, दादर व नगर हवेली, गोवा समाहित हैं। चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में पश्चिम क्षेत्र में बिजली की शून्य कमी दर्ज की गई। 1,75,775 मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता रही और इतनी बिजली उपलब्ध हुई।
शून्य कमी का ये है कारण
छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो संयंत्रों के रखरखाव के मामले में सुधार हुआ है। इसकी गवाही प्लांट लोड फैक्टर पीएलएफ के आंकड़े देते हैं। सितम्बर में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के संयंत्रों का पीएलएफ 70.51 प्रतिशत रहा, जो देश के 33 स्टेट पाॅवर में सबसे बेहतर है। दूसरा कारण कोविड-19 भी है। पहली तिमाही में बिजली की खपत में कुछ कमी आई थी। इस वजह से मांग व आपूर्ति में फर्क नहीं आया। इस दफे विद्युत संयंत्रों को ईंधन आपूर्ति भी सुचारू रही है।