समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया है कि केंद्र सरकार भारत से एक्सपोर्ट होने वाली चीनी पर पाबंदी लगाने की योजना बना रही है। अगर ऐसा होता है तो 6 सालों में पहली बार होगा जब चीनी के निर्यात पर बैन लगाई जाएगी।
इससे पहले भारत सरकार की तरफ से शुगर के एक्सपोर्ट को बढ़ाने की लगातार कोशिश की जा रही थी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया है कि वह संभावित रूप से इस सीजन के निर्यात को 10 मिलियन टन तक सीमित कर सकती है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक की देश में कुल चीनी उत्पादन में लगभग 80 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। देश के अन्य प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, बिहार, हरियाणा तथा पंजाब शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार घरेलू कीमतों में उछाल को रोकने के लिए सरकार चीनी निर्यात को प्रतिबंधित कर सकती है। पिछले हफ्ते ही सरकार ने घरेलू जरूरतों को देखते हुए गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का फैसला लिया था।
अब संभव है कि चीनी के निर्यात पर भी रोक लगाने का फैसला ले लिया जाए। रिपोर्ट के मुताबिक एक विकल्प ये भी है कि सरकार इस सीजन में चीनी के निर्यात को 10 मिलियन टन पर सीमित कर दे।
सरकार निर्यात की निगरानी करना चाहती है ताकि वे 10 मिलियन टन के जादुई आंकड़े को पार न करें। जहां तक 10 मिलियन टन का सवाल है, तो बहुत गंभीर संदेह है कि 10 मिलियन टन वास्तव में हासिल होगा या नहीं।
14 मई 2022 को गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच भारत ने अपने प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की।
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