भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज आदित्य एल-1 उपग्रह (Aditya L-1 satellite) को अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। इसरो ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि आदित्य एल-1 को हालो कक्षा में एल-1 बिन्दु के नजदीक सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया गया है।
इसरो ने इसके लिए कमान केन्द्र से मोटर और थ्रस्टर का प्रयोग किया। यह बिन्दु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। अंतरिक्ष यान में 440 न्यूटन लिक्विड अपोजी मोटर, आठ 22 न्यूटन थ्रस्टर और चार 10 न्यूटन थ्रस्टर लगे थे जो इसे एल-1 बिन्दु तक ले गये।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो की सफलता की सराहना की है और भरोसा जताया है कि हम विज्ञान के नये क्षितिज की ओर बढ़ना जारी रखेंगे। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौदयोगिकी राज्यमंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत के लिए यह गौरवपूर्ण वर्ष है जब इसरो ने आदित्य एल-1 को उसकी अंतिम कक्षा में पहुंचा कर सफलता की गाथा लिखी है। आदित्य एल-1 सूर्य और पृथ्वी के संबंधों का अध्ययन करेगा।
आदित्य एल-1 भारत का पहला सौर अभियान है जो सूर्य के कोरोना, सूर्य के भीषण ताप और पृथ्वी पर इसके प्रभाव का अध्ययन करेगा।