नई दिल्ली, 14 फरवरी। कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौता के लिए गठित ज्वाइंट बाइपराइट कमेटी ऑफ कोल इंडस्ट्रीज (JBCCI) की तृतीय बैठक 16 फरवरी को होगी। बैठक के लिए केवल चार घण्टे का ही समय निर्धारित किया गया है।
यहां बताना होगा कि जेबीसीसीआई की तृतीय बैठक यूनियन के दबाव में हो रही है। जबकि यह बैठक जनवरी में प्रस्तावित थी। सीआईएल प्रबंधन ने कोराना महामारी की आड़ लेकर बैठक टालने की पूरी कोशिश की थी।
इसे भी पढ़ें : कोल इंडिया के चिकित्सकों की रिटायरमेंट आयु में नहीं होगी बढ़ोतरी
इधर, माना जा रहा है कि इस बैठक में प्रबंधन दो तरह के ऑफर दे सकता है। दरअसल प्रबंधन की मंशा 10 साल के वेतन समझौते की है। इस प्रस्ताव को द्वितीय बैठक में रखा जा चुका है। सूत्रों की मानें तो प्रबंधन 10 साल के वेतन समझौते के तहत 10 से 12 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनिफिट (MGB) का प्रस्ताव रख सकता है।
यह भी कहा जा रहा है कि पांच साल के वेतन समझौते की स्थिति में प्रबंधन की ओर से 8 से 10 प्रतिशत एमजीबी का ऑफर लाया जा सकता है। साथ ही पिछली मीटिंग की तरह एमजीबी, सामाजिक सुरक्षा, सीपीआरएस, भत्ते आदि के लिए पृथक- पृथक सब कमेटियां गठित करने की बात कही जा सकती है।
यूनियन द्वारा संयुक्त रूप से सौंपे गए चार्टर ऑफ डिमांड में पांच साल के वेतन समझौते के तहत 50 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनिफिट की मांग रखी गई है। जेबीसीसीआई की केवल चार घण्टे की बैठक को लेकर यूनियन सहित कामगारों में भी नाराजगी देखी जा रही है।
इसे भी पढ़ें : BMS ने कहा- नए लेबर कोड को वापस लेने की नहीं बल्कि संशोधन की जरूरत, उपराष्ट्रपति को लिखा पत्र
सीटू के वरिष्ठ श्रमिक नेता एवं जेबीसीसीआई मेम्बर डीडी रामानंदन ने कहा कि प्रबंधन तो बैठक नहीं कराना चाहता था। यूनियन के दबाव में आकर यह बैठक रखी गई है। केवल चार घण्टे की बैठक औपचारिकता ही साबित होगी। इस दौरान प्रबंधन अपना क्या ऑफर देता है, यह देखना होगा। श्री रामानंदन ने यह भी कहा कि चारों यूनियन को पूरी ताकत और एकता के साथ चार्टर ऑफ डिमांड पर बात करनी होगी।
सीआईएल चेयरमैन ने वित्तीय संकट का रोया था रोना
15 नवम्बर की बैठक में चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने यूनियन के समक्ष वित्तीय संकट का रोना रोया था और कहा था कि 50 फीसदी एमजीबी से 18 हजार करोड़ रुपए का वित्तीय भार आएगा। श्री अग्रवाल ने कहा था कि बीसीसीएल, सीसीएल, ईसीएल जैसी कंपनियों की स्थिति ठीक नहीं है। 50 प्रतिशत वेतन वृद्धि कर दी तो इन कंपनियों में तालाबंदी की नौबत आ जाएगी।
सीआईएल चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने बीते वर्ष अगस्त में यह साफ कर दिया था कि प्रबंधन किसी भी स्थिति में 50 फीसदी वेतन बढ़ोतरी के लिए न तैयार है न ही चर्चा करेगा। चेयरमैन ने कहा था कि 10 फीसदी भी वेतन वृद्धि की जाए तो पांच हजार करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। जेबीसीसीआई की द्वितीय बैठक में इस मंशा को जाहिर भी कर दिया गया था।
इसे भी पढ़ें : कोल इंडिया के चिकित्सकों की रिटायरमेंट आयु में नहीं होगी बढ़ोतरी
सीटू नेता रामानंदन के इस गणित को फिर समझना होगा
सीटू नेता व जेबीसीसीआई सदस्य डीडी रामानंदन ने industrialpunch.com से चर्चा करते हुए कहा था कि बहुत सोच समझकर 50 फीसदी वेतन वृद्धि की मांग रखी गई है। वेतन समझौता पांच वर्षों के लिए होता है। आने वाले पांच सालों में सीआईएल ने कोयला उत्पादन का लक्ष्य दोगुना रखा है। वर्ष 2023- 24 तक 1149 मिलियन टन और 2025- 2026 तक 1400 मिलियन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य तय किया गया है। जबकि इस दौरान पूरे कोल इंडिया में 59 हजार 287 कामगार सेवानिवृत्त हो जाएंगे। कंपनी एम्प्लाइज बेनिफिट व्यय घटेगा।
इस साल इसमें 600 करोड़ रुपए की कमी आई है। कंपनी के निर्धारित लक्ष्य के हिसाब से अनुमानित मुनाफा एक लाख 29 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। यूनियन ने 50 प्रतिशत वेतन बढ़ोतरी की ही मांग रखी है, जबकि उत्पादन लक्ष्य दोगुना होने जा रहा है।
सोशल मीडिया पर अपडेट्स के लिए Facebook (https://www.facebook.com/industrialpunch) एवं Twitter (https://twitter.com/IndustrialPunch) पर Follow करें …