नई दिल्ली, 04 जनवरी। नए साल को दस्तक दिए चार दिन गुजर गए हैं। इधर, कोयला कामगारों के बीच नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट- XI के लिए गठित ज्वाइंट बाइपराइट कमेटी ऑफ कोल इंडस्ट्रीज (JBCCI) की तृतीय बैठक को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। दरअसल द्वितीय बैठक में यह तय हुआ था कि जेबीसीसीआई की तीसरी मीटिंग जनवरी में होगी।
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यहां बताना होगा कि कोयला कामगारों का वेतन समझौता के लिए गठित जेबीसीसीआई- की पहली बैठक 17 जुलाई को हुई थी, लेकिन इस बैठक में वेतन समझौते को लेकर किसी प्रकार की कोई चर्चा नहीं हो सकी थी।
15 नवम्बर हो आयोजित हुई द्वितीय बैठक में भी वेतन समझौते को लेकर सार्थक चर्चा की शुरुआत नहीं हो सकी थी। इस बैठक ने सीआईएल प्रबंधन की मंशा जाहिर की थी, कि वो 50 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनिफिट (एमजीबी) पर चर्चा नहीं करना चाहता है। चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने यूनियन के समक्ष वित्तीय संकट का रोना रोया था और कहा था कि 50 फीसदी एमजीबी से 18 हजार करोड़ रुपए का वित्तीय भार आएगा।
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सीआईएल चेयरमैन ने इस बैठक के जरिए यूनियन और कोयला कामगारों के भीतर भय उत्पन्न करने का भी काम किया था। श्री अग्रवाल ने कहा था बीसीसीएल, सीसीएल, ईसीएल जैसी कंपनियों की स्थिति ठीक नहीं है। 50 प्रतिशत वेतन वृद्धि कर दी तो इन कंपनियों में तालाबंदी की नौबत आ जाएगी।
प्रबंधन ने जेबीसीसीआई के समक्ष 10 वर्षों के लिए वेतन समझौते का प्रस्ताव रखा था। साथ ही एमजीबी, सामाजिक सुरक्षा, सीपीआरएस, भत्ते आदि के लिए पृथक- पृथक सब कमेटियां गठित करने की बात कही गई थी। हालांकि यूनियन ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और कहा था कि उनके द्वारा सौंपे गए कॉमन चार्टर ऑफ डिमांड पर ही चर्चा होगी।
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बहरहाल देखना होगा कि जेबीसीसीआई की तृतीय बैठक किस तारीख को होगी और प्रबंधन सौंपे गए कॉमन चार्टर ऑफ डिमांड के लिहाज से उपस्थिति दर्ज कराएगा या नहीं। द्वितीय बैठक के दौरान यूनियन के कुछ लोगों में मनमुटाव भी सामने आया था। यूनियन की तीसरी बैठक को लेकर क्या तैयारी होगी, इस पर भी कोयला कामगारों की नजर होगी।
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