कोरबा। सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में किसानों ने गेवरा-दीपका रेल खंड पर धरना दिया।
बताया गया है कि दो घंटे से ज्यादा चले इस धरने के कारण लगभग 5000 टन कोयले की ढुलाई बाधित हुई। इससे एसईसीएल को 3 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अंदेशा है। पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को बलपूर्वक पटरियों से हटाया। इस पुलिस के साथ झूमाझटकी भी हुई।
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उल्लेखनीय है कि गेवरा रोड स्टेशन से रेलवे सबसे ज्यादा राजस्व वसूल करता है। यहां एसईसीएल की गेवरा कोयला खदान है, जो एशिया की सबसे बड़ी खदान है और हर साल 42 मिलियन टन कोयले की ढुलाई रेल से ही होती है।
किसान सभा ने इसी रेल खंड को आज के आंदोलन में अपना निशाना बनाया, जिसके कारण किसी यात्री ट्रेन के रुकने की तुलना में रेलवे को ज्यादा नुकसान हुआ और एसईसीएल से भी कोयला ढुलाई बुरी तरह बाधित हुई।
इस आंदोलन को टालने के लिए पुलिस और रेल प्रशासन की सभी कोशिशें विफल हो गई और किसान सभा नेताओं ने आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध ठुकरा दिया था। पुलिस की सख्ती को देखते हुए कल रात से ही किसान सभा के प्रमुख नेता भूमिगत हो गए थे और आज योजनाबद्ध तरीके से किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर, प्रशांत झा और दीपक साहू की अगुआई में गांवों से किसान निकलकर पटरियों पर आ धमके, जिसका अंदाज प्रशासन को भी नहीं था।
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बड़ी संख्या में रेलवे और जिला पुलिस बल ने गंगानगर के पास किसानों को पटरियों पर नहीं पहुंचने देने के लिए नाकेबंदी कर रखी थी, लेकिन किसान पुलिस को चकमा देते हुए एक किमी दूर गांव के दूसरे रास्ते से पटरियों तक पहुंच गए।
किसानों ने तीनों किसान विरोधी कानूनों और मजदूर विरोधी श्रम संहिता वापस लेने, सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने और लखीमपुर खीरी जन संहार के दोषी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र को बर्खास्त करने की मांग की तख्तियां लिए, नारे लगाते पटरियों पर धरना प्रदर्शन किया।
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