कोरबा, 30 जनवरी। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के एचटीपीएस विस्तार परियोजना (HTPS expansion project) के पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए हुई जनसुनवाई में नियमों के उल्लंघन के खुलासे हुए हैं। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, जिला प्रशासन और कंपनी ने पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment) रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की। जनसुनवाई के दौरान भी इसे डिस्प्ले नहीं किया गया।

हसदेव ताप विद्युत गृह (HTPS) विस्तार परियोजना के तहत 1320 मेगावाट (MW) क्षमता वाला सुपर क्रिटिकल पॉवर प्लांट स्थापित किया जा रहा है। इसमें 660 मेगावाट क्षमता वाली दो इकाइयां होंगी। 12 हजार 915 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से स्थापित होने वाले संयंत्र के पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए जनसुनवाई आयोजित हुई। जनसुनवाई में कोई विरोध नहीं हुआ। ज्यादातर लोगों ने संयंत्र का समर्थन किया। वहीं कुछेक लोगों ने पर्यावरण, रोजगार, सीएसआर जैसे मुद्दे उठाए।

सार्थक संस्था के सचिव एवं पर्यावरणविद लक्ष्मी चौहान ने तकनीकी रूप से आंकड़ों के साथ आपत्तियां दर्ज कराई। श्री चौहान ने नियमों के उल्लंघन के कई खुलासे भी किए। प्रस्तावित संयंत्र स्थल की भूमि उपयोग के ब्यौरे में यह उल्लेख किया गया है कि बिजली संयंत्र के विस्तार के लिए किसी भी वन भूमि का उपयोग नहीं किया जा रहा है, लेकिन डेटा इसका खंडन करता है। 2005 में प्रस्तुत 500 मेगावाट इकाई के लिए ईआईए रिपोर्ट का हवाला देते हुए, यह कहा गया था कि आवश्यक 140 हेक्टेयर में से 111.761 हेक्टेयर वन भूमि है जिसे 9 अगस्त, 2005 को एमओईएफ द्वारा मंजूरी दे दी गई थी। 1320 मेगावाट क्षमता वाली विस्तार परियोजना भी इसी भूमि पर प्रस्तावित है। अगर हम प्रस्तावित लेआउट योजना को देखें तो इस भूमि पर वन क्षेत्र है, यह स्पष्ट हो जाता है। इस तथ्य को छिपाने के लिए कि विस्तार परियोजना के लिए वन क्षेत्र को मंजूरी दे दी गई है। टीओआर के पैरा-26 में उल्लेख किया गया है कि परियोजना का एक हवाई दृश्य रिकॉर्ड किया जाएगा और ईएसी को प्रस्तुत किया जाएगा। इसी तरह ईआईए रिपोर्ट में प्रस्तावित साइट के सटीक अक्षांश और देशांतर का भी उल्लेख नहीं किया गया है, जो विस्तार के लिए प्रस्तावित साइट के सटीक स्थान का खुलासा नहीं करने का इरादा दर्शाता है।

नए फ्लाई ऐश डाइक प्रस्ताव नहीं

ईआईए (Terms of Reference)रिपोर्ट में नए फ्लाई ऐश डाइक का कोई प्रस्ताव नहीं है। टीओआर में यह उल्लेख किया गया है कि एचटीपीएस के वर्तमान ऐश डाइक का उपयोग नए पावर प्लांट से निकलने वाली राखड़ के निपटान के लिए नहीं किया जाएगा।

ग्रीन बेल्ट विककित करेंगे, लेकिन भूमि आरक्षित नहीं की

टीओआर में उल्लेख किया गया है कि कुल परियोजना भूमि का 30 प्रतिशत क्षेत्र हरित बेल्ट के रूप में विकसित किया जाना है, लेकिन भूमि क्षेत्र के विभाजन में कोई भी भूमि ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित नहीं रखी गई है। यह उल्लेख किया गया है कि मौजूदा ग्रीन बेल्ट 58.589 हेक्टेयर है और ईआईए रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित परियोजना ग्रीन बेल्ट पर ही स्थापित हो रही है।

पुराना संयंत्र बंद होगा तब मिलेगा पानी

प्रस्तावित परियोजना के लिए जल की आवश्यकता 28 मिलियन क्यूबिक मीटर है, जिसे 840 मेगावाट क्षमता वाले संयंत्र (23 मिलियन क्यूबिक मीटर) के लिए आवंटित पानी से पूरा किया जाना प्रस्तावित है। शेष 5 मिलियन घन मीटर के लिए आवंटन हेतु अनुरोध संबंधित प्राधिकारी को भेजा जाना बताया गया है। ईआईए में उल्लिखित पत्र के अनुसार 840 मेगावाट क्षमता वाला संयंत्र 2030 तक बंद किया जाना है। यानी पुराना संयंत्र बंद होगा तभी नए संयंत्र के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा।

पुराना प्लांट बंद होगा तब मिलेगा कोयला

ईआईए रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि 840 मेगावाट और 500 मेगावाट बिजली संयंत्र को कोयले की आपूर्ति करने के लिए बनाया गया कन्वेयर सिस्टम प्रस्तावित नए बिजली संयंत्र को कोयले की आपूर्ति कैसे करेगा। कन्वेयर सिस्टम की क्षमता और बिजली संयंत्रों की आवश्यकताओं के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। प्रस्तावित संयंत्र के लिए ईंधन स्रोत 2030 में 840 मेगावाट क्षमता वाले प्लांट के बंद होने पर निर्भर करता है।

स्वास्थ्य प्रभाव का नहीं किया मूल्यांकन

कामगारों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर ईआईए रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं किया गया है। न ही कोई स्वास्थ्य प्रभाव मूल्यांकन किया गया है।

ईआईए रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल और जिला प्रशासन द्वारा ईआईए रिपोर्ट के ड्राफ्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। बोर्ड की वेबसाइट पर केवल ईआईए सारांश अपलोड किया गया है।

 

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