नई दिल्ली। एनवायरनमेंटल थिंक टैंक, इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी ने भारत के शीर्ष कोयले और पॉवर जिलों के जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन की चुनौतियों और अवसरों का विश्लेषण किया।
देश के सबसे बड़े कोयला उत्पादक कोरबा जिले में समय रहते जस्ट ट्रांजिशन प्लानिंग की शुरुआत अविलंब शुरू करने पर जोर दिया गया है। इस रिपोर्ट को पंचायत और ग्रामीण विकास व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, कोयला मंत्रालय सचिव अनिल कुमार जैन और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने ऑनलाइन ईवेंट के माध्यम से रिलीज किया।
टीएस सिंहदेव ने कहा कि जैसे ही कोयला फेज आउट होगा, कोरबा जैसे कोयला क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए कौन सा उद्योग आ सकता है, यह बड़ा सवाल होगा। इस पर विचार करने की आवश्यकता है।
अनिल कुमार जैन व अमिताभ कांत ने कहा कि जस्ट ट्रांजिशन एक अवधारणा के रूप में उभरा है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोयला और पॉवर क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों को खदान और थर्मल पॉवर के असामयिक बंद होने के नतीजों का सामना न करना पड़े।
आई- फॉरेस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक कोरबा जिला नौकरी और विकास के लिए कोयला उद्योग पर अत्यधिक निर्भर है। कोरबा के सकल घरेलू उत्पाद का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा और पांच में से एक रोजगार कोयला खनन और कोयले से संबंधित उद्योगों से है।
2050 तक पॉवर प्लांट बंद हो सकते है
कोरबा के कोयला भंडार समाप्त हो रहे है और आधे थर्मल पॉवर प्लांट 30 वर्ष से अधिक पुराने हो गए हैं। वर्तमान नीति परिदृश्य (जो भारत के 2070 के नेट-जीरो लक्ष्य के साथ संरेखित है) के तहत कोरबा में सभी कोयला खदानों को 2050 तक और पावर प्लांट को 2040 तक चरणबद्ध तरीके से बंद किया जा सकता है। अगले कुछ वर्षों में कोरबा में सभी लाभहीन भूमिहीन खदानों को बंद करना एसईसीएल के लिए फायदे का सौदा है। एसईसीएल और एनटीपीसी के कम से कम 70 प्रतिशत कर्मचारी 40-60 वर्ष की आयु के है। उनकी सेवानिवृत्ति को खदानों एवं पॉवर प्लांट के बंद होने के साथ समकालिक किया जा सकता है। सबसे बड़ी चुनौती अनौपचारिक श्रमिकों को पुनः रोजगार और नई ग्रीन अर्थव्यवस्था के लिए कौशल विकास होगी।
अनियोजित खदान बंदी अतिसंवेदनशील
कोरबा 40 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी वाला पांचवीं अनुसूची का जिला है। आकांक्षी जिला में 41 प्रतिशत लोग बीपीएल वर्ग में है। 32 प्रतिशत से अधिक आबादी बहुआयामी रूप से गरीब है और स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी सुविधाओं तक लोगों की पहुंच सीमित है। कोयला केन्द्रित अर्थव्यवस्था ने अन्य आर्थिक क्षेत्र कृषि, वानिकी, निनिर्माण और सेवाओं के विकास में बाधा डाली है। खराब सामाजिक-आर्थिक स्थिति और कोयला अर्थव्यवस्था पर उच्च निर्भरता के कारण खदानों और उद्योगों का अनियोजित बंद होना अत्यधिक संवेदनशील है और गंभीर सामाजिक-आर्थिक परिणाम होंगे।
13 चालू खदान, 8 घाटे में
कोरबा में 13 चालू खदान हैं और 4 खदानें पाइपलाइन में है। एसईसीएल की वर्तमान योजनाओं के अनुसार, कोरबा का कोयला उत्पादन 2025 तक 180 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा। चालू खदानों में से तीन लाभदायक खदानें गेवरा, कुसमुंडा और दीपका 95 प्रतिशत कोयले का उत्पादन करती हैं। 8 भूमिगत खदानें घाटे में चल रही हैं। गेवरा और कुसमुंडा जैसी बड़ी खदानों का भंडार 15 वर्ष से भी कम का रह गया है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण की सिफारिश के अनुसार, 2940 मेगावाट क्षमता (वर्तमान क्षमता का 46 प्रतिशत) वाली 10 इकाईयों को 2027 तक रिटायर किया जा सकता है।
कोरबा में जस्ट ट्रांजिशन के लिए यह आवश्यक होगा
निष्कर्षों के आधार पर जिले के सकल घरेलू उत्पाद में कोयले के योगदान को कम करने और अन्य क्षेत्रों के योगदान को बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था का पुर्नगठन करना होगा। कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्रों, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, गैर-लकड़ी वन उत्पाद प्रसंस्करण, नवीकरणीय ऊर्जा आधारित उद्योग और सेवा क्षेत्र को मजबूत करना होगा। वर्तमान में 24000 हेक्टेयर भूमि और विशाल बुनियादी संरचनाएं कोयला और बिजली कंपनियों के पास हैप्। साईंटिफिक क्लोजर और खनन भूमि का पुननिर्माण एक नई ग्रीन इकॉनमी के लिए आवश्यक है। कोरबा में कोयला खनन वर्तमान में 7000 करोड़ रुपए से अधिक रॉयल्टी, डीएमएफ फंड और कोयला उपकर से योगदान करता है।
सामाजिक और पर्यावरणीय निवेश
कोरबा को स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी की आपूर्ति जैसी सुविधाओं और भौतिक बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होगी ताकि जस्ट ट्रांजिशन को लागू किया जा सके। डीएमएफ में लगभग 500-550 करोड़ रुपए सालाना एकत्र होता है। यह फंड सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचे में निवेश करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। कोरबा जैसे जिलों को भविष्य के लिए प्लानिंग शुरू करने देने की आवश्यकता है जिससे होने वाले सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को रोका जा सके। आई-फॉरेस्ट संस्था के अध्यक्ष और सीईओ चंद्रभूषण ने कहा है कि कोरबा देश में 16 प्रतिशत से अधिक कोयले का उत्पादन करता है। यह बिजली उत्पादन का केन्द्र भी है, जिसकी थर्मल पॉवर क्षमता 6428 मेगावाट है।
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