कोरबा, 23 दिसम्बर (Industrial Punch Desk) : साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की कुसमुंडा खदान (Kusmunda Mines) विश्व की सबसे बड़ी कोल माइंस बनने की ओर अग्रसर है। कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने कुसमुंडा खदान की सालाना उत्पादन क्षमता 75 मिलियन टन (MT) करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।
सीआईएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर द्वारा 75 मिलियन टन कोयला उत्पादन के प्रस्ताव को मंजूर किए जाने के बाद अब इसे केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पास भेजा जाएगा। मंत्रालय खदान विस्तार को पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान करने के लिए जनसुनवाई करेगा। पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने के बाद 75 मिलियन टन उत्पादन का रास्ता साफ हो जाएगा।
उत्पादन के इस आंकड़े पर पहुंचने पर कुसमुंडा विश्व की सबसे बड़ी कोल माइंस बन जाएगी, लेकिन इसके पहले विश्व की सबसे बड़ी कोयला खदान का तमगा गेवरा के हाथ लगने वाला है। गेवरा खदान का क्षमता विस्तार 70 मिलियन टन तक होना है। इसके लिए पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है।
चालू वित्तीय वर्ष में गेवरा के समक्ष 63 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। 2023- 24 में गेवरा खदान से 59 मिलियन टन उत्पादन दर्ज हुआ था। वर्तमान में गेवरा विश्व की दूसरी बड़ी कोयला खदान है। जबकि कुसमुंडा विश्व की चौथी बड़ी कोयला खदान है।
चालू वित्तीय वर्ष 2024- 25 के लिए कुसमुंडा माइंस के समक्ष 52 मिलियन टन का टारगेट है। 2023-24 में कुसमुंडा से 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन हुआ था। मौजूदा समय में यूनाइटेड स्टेट की ब्लैक थंडर माइन विश्व की सबसे बड़ी कोयला खदान है।