भारत इस साल प्रतिष्ठित जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। इस आयोजन का महत्व इस तथ्य में निहित है कि जी-20 देश, विश्व में सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार के 3/4 और विश्व जनसंख्या के लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भारत, 19 देशों, यूरोपीय संघ और 9 अतिथि देशों तथा 9 क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 73 प्रतिनिधियों की मेजबानी कर रहा है। भारत की G-20 अध्यक्षता के तहत पहली रोजगार कार्य समूह (Employment Working Group Meeting) की बैठक राजस्थान के जोधपुर में 2 से 4 फरवरी, 2023 तक आयोजित हुई। इस बैठक में निर्धारित तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों वैश्विक स्तर पर कौशल के क्षेत्र में अंतराल, गिग एवं प्लेटफॉर्म अर्थव्यस्था और सामाजिक सुरक्षा तथा सामाजिक सुरक्षा के लिए स्थायी वित्तपोषण के समाधान के लक्ष्य को हासिल करने के लिए रचनात्मक रूप से काम करने में रुचि और प्रतिबद्धता दिखाई गई।
रोजगार कार्य समूह की तीन और बैठके होंगी। दूसरी बैठक 3- 5 अप्रेल को गुवाहाटी में होगी। तीसरी बैठक का आयोजन जेनेवा में एक व दो जून को होगी। चौथी व अंतिम बैठक भारत के इंदौर में 19- 20 जुलाई को होगी। इंदौर में ही 21 जुलाई को श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की बैठक होगा। लेबर- 20 इंसेप्शन मीटिंग (abour 20 Inception meeting) का आयोजन 6-7 मार्च को पटना में होने जा रहा है। लेबर- 20 सम्मेलन (Labour 20 Summit) 22 एवं 23 जून को अमृतसर में होगा।
भारत और G -20
G-20 क्या है
वैश्विक अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रणालीबद्ध रूप से महत्वपूर्ण औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को साथ लाने के लिए 1999 में बीस वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों का समूह (G-20) स्थापित किया गया था। G-20 के उद्घाटन बैठक का आयोजन जर्मन और कनाडाई वित्त मंत्रियों की मेज़बानी में 15-16 दिसम्बर, 1999 को बर्लिन में किया गया।
अधिदेश
जी-20 हमारे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक विकास के लिए प्रमुख मंच है जो वैश्विक आर्थिक स्थिरता से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर औद्योगिक और उभरते-बाज़ार वाले देशों के बीच खुली और रचनात्मक चर्चा को बढ़ावा देता है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना को मजबूत बनाने में योगदान देते हुए और राष्ट्रीय नीतियों, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों पर बातचीत के लिए अवसर प्रदान करते हुए, G-20 दुनिया भर में वृद्धि और विकास के समर्थन में मदद करता है।
उद्गम
G- 20 को 1990 दशक के उत्तरार्ध के वित्तीय संकट और इस बढ़ती मान्यता के प्रतिक्रिया स्वरूप गठित किया गया था कि प्रमुख उभरते-बाज़ार वाले देशों को पर्याप्त रूप से वैश्विक आर्थिक चर्चा और शासन के मूल में शामिल नहीं किया गया था। G- 20 के सृजन से पहले, G- 7 की पहल पर संवाद और विश्लेषण को बढ़ावा देने के लिए इसी तरह के समूहों को स्थापित किया गया था। 22 अप्रैल और अक्तूबर 1998 में G- 22 की वाशिंगटन डी.सी. में बैठक हुई थी। इसका उद्देश्य उभरते बाज़ार वाले देशों को प्रभावित करने वाले तत्कालीन वित्तीय संकट से वैश्विक पहलुओं के संकल्प में ग़ैर G- 7 वाले देशों को शामिल करना था। प्रतिभागियों के विशाल समूह (G- 33) की मार्च और अप्रैल 1999 में आयोजित दो आगामी बैठकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में सुधारों पर चर्चा की गई। संकट के प्रति विश्व अर्थव्यवस्था की संवेदनशीलता को कम करने के लिए G- 22 और G- 33 द्वारा किए गए प्रस्तावों ने उभरते-बाज़ार वाले देशों को गले लगाने वाले एक नियमित अंतरराष्ट्रीय परामर्शदात्री मंच के संभावित लाभ दर्शाए। नियमित भागीदारों के बीच इस तरह की नेमी वार्ता को 1999 में G- 20 के गठन द्वारा संस्थागत रूप दिया गया।
G- 20 के सदस्य देश हैं
अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका