नई दिल्ली, 11 सितम्बर। जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद से ही कोयला कामगारों और श्रमिक संगठनों में हड़कंप मचा हुआ है। 14 सितम्बर को रांची में पांचों श्रमिक संगठन HMS, BMS, AITUC, CITU, INTUC के नेताओं की बैठक होगी और इसमें आगे कर रणनीति तैयार की जाएगी।
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बताया गया है कि इस बैठक की पहल भारतीय मजदूर संघ (BMS) के कोल प्रभारी एवं जेबीसीसीआई सदस्य के. लक्ष्मा रेड्डी ने की है। रांची में 14 सितम्बर को दोपहर 12 से बैठक बुलाई गई है। पांचों श्रमिक संगठनों के प्रमुख नेताओं ने बैठक के लिए सहमति दे दी है। हालांकि बीएमएस के कोल प्रभारी लक्ष्मा रेड्डी डीपीई की गाइडलाइन को कोई मुद्दा नहीं मानते रहे हैं। जबकि मामला डीपीई की गाइडलाइन पर ही आकर फंस गया है।
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यहां बताना होगा कि NCWA- XI को निरस्त करने को लेकर कोल अफसरों ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट को बताया गया था कि एनसीडब्ल्यू- XI को लागू करने में लोक उद्यम विभाग (डीपीई) के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 24/11/2017 में निहित प्रावधानों का उल्लंखन किया गया है। उच्च न्यायालय ने अपने 29 अगस्त, 2023 के आदेश के तहत कोयला मंत्रालय द्वारा एनसीडब्ल्यू- XI को लागू करने जारी 20 जून, 2023 के अनुमोदन पत्र को रद्द कर दिया। कोर्ट ने आदेश जारी होने से 60 दिनों के भीतर डीपीई की गाइडलाइन का उल्लंघन हुआ है या नहीं इसकी जानकारी देने कहा है।
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इधर, एनसीडब्ल्यू- XI का मामला कानूनी तौर उलझता नजर आ रहा है। दरअसल कोयला मंत्रालय ने 22 जून, 2023 को वेतन समझौते को लेकर अनुमोदन जरूर जारी कर दिया था, लेकिन लोक उद्यम विभाग ने कार्यालय ज्ञापन दिनांक 24/11/2017 ने विशेष छूट नहीं दी थी। 11वें वेतन समझौते के लिए जेबीसीसीआई गठन में ही यह निहित था कि डीपीई के ओएम का पालन करते हुए वेतन समझौता किया जाएगा। हालांकि माना जा रहा था कि पूर्व की तरह डीपीई द्वारा अपनी गाइडलाइन में छूट प्रदान कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दबाव में एनसीडब्ल्यू- XI लागू करने को लेकर फैसला ले लिया गया। कोल अफसरों के संगठन भी वेतन विसंगति का विरोध कर रहे थे, क्योंकि अफसरों के कुछ वर्ग का वेतन कामगारों से नीचे की ओर जा रहा था।