मुंबई, 30 जून : महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचाते हुए भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे की पहचान जमीनी नेता की है। शिंदे 11वीं कक्षा तक की पढ़ाई की है, लेकिन उन्होंने अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को पढ़ाया। श्रीकांत आर्थोपैडिक डॉक्टर हैं और सांसद भी। 2019 के विधानसभा चुनाव के हलफनामे के अनुसार एकनाथ शिंदे के पास 11 करोड़ रुपए से ज्यादा की चल और अचल संपत्ति है। उन पर विभिन्न धाराओं के तहत 18 मुकदमें भी दर्ज है। शिंदे के पास एक रिवॉल्वर और एक पिस्टल भी है।
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एकनाथ शिंदे का परिवार मूल रूप से सतारा जिले का रहने वाला है और 70 के दशक में मुंबई से सटे ठाणे आ गया था। उस वक्त शिंदे की उम्र मात्र 10 साल थी। 80 के दशक में शिवसेना के साथ जुड़ने से पहले शिंदे ऑटो रिक्शा चलाते थे। इसके अलावा घर चलाने के लिए शराब कारखाने में भी नौकरी कर चुके हैं। राजनीति में दिलचस्पी के चलते शिंदे तत्कालीन ठाणे जिला सेना अध्यक्ष आनंद दीघे से करीब आते गए, बाद में शिवसेना को एक प्रमुख शक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दीघे ने एकनाथ शिंदे की सक्रियता और समर्पण को देखते हुए ठाणे नगर पालिका में सदन का नेता बना दिया। 2004 में, वह कोपरी – पछपाखडी सीट जीतकर पहली बार विधायक बने और फिर लगातार चार बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं। एकनाथ शिंदे की गिनती हमेशा शिवसेना के सच्चे सिपाही के तौर पर होती रही है। शिंदे आंदोलनकारी, जुझारू शैली के और शिवसेना के प्रति गहरी वफादार व्यक्तियों में से एक थे। बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद और उद्धव ठाकरे के हाथ में पार्टी की कमान आ जाने के बाद एकनाथ शिंदे और मजबूत हो गए।
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शिवसेना से बाहर शिंदे का राजनीतिक प्रभाव तब दिखाई दिया, जब भाजपा से अलग होने के बाद उद्धव ठाकरे ने उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया। 2019 में भाजपा को झटका देकर शिवसेना ने जब कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर सरकार बनाई तो शिंदे के नाखुश होने की खूब चर्चा थी। हालांकि एकनाथ शिंदे ठाकरे कैबिनेट में मंत्री बने। उनकी गिनती उद्धव के करीबियों में होती है। 2019 में एक वक्त ऐसा था जब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे माने जा रहे थे, लेकिन शिवसेना की परंपरा को तोड़ते हुए ठाकरे परिवार से पहली बार उद्धव ठाकरे सत्ता की गद्दी पर सवार हो गए, और आदित्य ठाकरे को भी मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया।
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