कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज एक और अपना चुनावी वायदा पूरा करते हुए बंगाल विधानसभा में राज्य विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव को मंजूर करा लिया। ममत बनर्जी ने इसी साल मई में तीसरी बार सीएम बनने के बाद राज्य विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव को केबिनेट में मंजूरी दी थी, जिसे मंगलवार को विधानसभा से भी मंज़ूरी मिल गई है।
विधान सभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने ऐलान किया था कि जिन बुद्धिजीवि लोगों और दिग्गज नेताओं को विधानसभा चुनाव के लिए नामांकित नहीं किया गया था, उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया जाएगा। सीएम ने 2011 के विधानसभा चुनावों के बाद नंदीग्राम और सिंगूर में उनके अभियान का हिस्सा रहने वालों को विधान परिषद में भेजने का वादा किया था ।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा वित्त मंत्री अमित मित्रा, पूर्णेंदु बोस जैसे पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को विधानसभा में शामिल नहीं किया जा सकता है, इन्हें विधान परिषद में भेजने की तैयारी चल रही है। इसे देखते हुए एक विधान परिषद स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
बंगाल विधान परिषद में कितनी होंगी सीटें
देश में 6 राज्यों में विधान परिषद है, जिनमें बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल है। पश्चिम बंगाल में 294 विधानसभा सीटें हैं। एक विधान परिषद में सदस्यों की संख्या विधानसभा के सदस्यों से एक तिहाई से अधिक नहीं हो सकती है, लिहाजा बंगाल में विधान परिषद में 98 सदस्य हो सकते हैं।
गौरतलब है कि नियमानुसार विधान परिषद गठित करने के लिए राज्य सरकार को पहले विधानसभा में बिल पारित करना होगा। सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य विधायकों द्वारा चुने जाएंगे, जबकि अन्य वन थर्ड सदस्य नगर निकायों, जिला परिषद और अन्य स्थानीय निकायों द्वारा चुने जाते हैं। सरकार द्वारा परिषद में सदस्यों को मनोनीत करने का भी प्रावधान होगा। राज्यसभा की तरह ही इसमें भी एक सभापति और एक उपाध्यक्ष होते हैं। सभी का कार्यकाल 6 वर्ष का होगा। बंगाल में पहले विधान परिषद था, लेकिन 1969 में समाप्त कर दिया गया था। भाजपा ने सरकार के इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन वामदलों ने ममता के इस फैसले का विरोध किया है। वामदलों का कहना है कि ममता का यह कदम राज्य के हित के लिए नहीं है।
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