अभी हाल ही जारी हुई ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग रिस्क इंडेक्स-2021 में भारत विश्व का दूसरा सबसे आकर्षक मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया है। वर्ष 2020 की इसी रिपोर्ट में अमेरिका दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर था। इस इंडेक्स में यूरोप, अमेरिका और एशिया-प्रशांत (एपीएसी) के कुल 47 देश होते हैं, जिनका वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग के लिए आकर्षक जगहों के रूप में आंकलन किया जाता है। वर्ष 2020 में भारत की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का आंकड़ा 12.96 फीसदी पर पहुंच गया है। इसके अलावा भारत की जीडीपी का औसत स्तर देखें तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का योगदान करीब-करीब 30 प्रतिशत तक बैठता है। IIP द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पादन की ग्रोथ अप्रैल 2021 में 197.1% थी, जबकि अप्रैल 2020 में इसमें 66% की गिरावट दर्ज की गई थी।
भारत में तेजी से बढ़ रहा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर
भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर काफी तेजी से बढ़ा है। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बाद भी भारत में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की संख्या में इजाफा हुआ है। जानकारी के लिए बता दें कि भारत में मौजूद कुल कंपनियों में से मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की हिस्सेदारी 20% है। जुलाई 2021 में इनकी हिस्सेदारी 21% तक पहुंच गई। इस दौरान देश में अलग-अलग क्षेत्रों से सम्बंधित कुल 15,499 कंपनियां रजिस्टर हुईं, जिसमें से 21% यानी 3,217 कंपनियों मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हैं।
रोजगार में हो रही वृद्धि
देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सिर्फ देश की जीडीपी में योगदान नहीं दे रहा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर रहा है। आईएचएस मार्केट के मासिक सर्वे के मुताबिक, जुलाई 2021 में देश की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में सबसे मजबूत वृद्धि देखने को मिली। लॉकडाउन की दूसरी लहर के बावजूद भी रोजगार के पैमाने पर भी देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर काफी सकारात्मक रहा है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग नीति 2017 के तहत पांच वर्षों में कम से कम तीन लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य वर्ष 2020 में ही पूरा कर लिया।
मेक इन इंडिया, फिर वोकल फॉर लोकल और अब मेक फॉर वर्ल्ड
देश को आत्मनिर्भरता की और बढ़ाने के लिए वर्ष 2014 में देश में “मेक इन इंडिया” की पहल शुरू की गई। इसके तहत देश में अबतक मिसाइल से लेकर जंगी जहाज तक बनाया जा चुका है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक सर्वे के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2018-19 में देश के जीवीए यानी कि सकल मूल्य में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 29.6 फीसद थी और इस सेक्टर में देश के 26 फीसदी वर्कफोर्स को रोजगार मिला हुआ है। इसी दौरान अब भारत का लक्ष्य मेक फॉर वर्ल्ड भी है ताकि भारत में निर्मित उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिले और भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और मजबूत हो सके।
इसी के लिए भारत सरकार पीएलआई स्कीम लेकर आई है। इस योजना का उद्देश्य देश में आयात कम करना और स्थानीय स्तर पर रोजगार के मौके बढ़ाना था। इसके तहत प्रोडक्शन करने वाली कंपनियों को 1.46 लाख करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस दौरान अगले पांच सालों की अवधि में 1 करोड़ से अधिक नए रोजगारों का सृजन और 500 बिलियन डॉलर का मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट लाना है।
क्या होती है मैन्युफैक्चरिंग ?
मशीनों, औजारों और श्रम का उपयोग करके सामान बनाने की क्रिया को विनिर्माण या मैन्युफैक्चरिंग कहते हैं। विनिर्मित सामान स्वयं के प्रयोग के लिये भी हो सकते हैं और दूसरों को बेचने के लिये भी।
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