कोरबा, 13 अगस्त। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा में स्थित लिथियम ब्लॉक (Lithium Block) से खनन की तैयारी चल रही है। इसकी जानकारी छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने दी है।
नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में नेशनल मिनिरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट की 6वीं गवर्निंग बॉडी की बैठक आयोजित हुई। बैठक में राज्य की ओर से स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने हिस्सा लिया। बैठक की अध्यक्षता कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने की। कोयला एवं खान राज्यमंत्री सतीशचन्द्र दुबे भी मौजूद रहे। बैठक में खनिजों का दोहन और उनके उपयोग के साथ प्रकृति एवं पर्यावरण के संरक्षण पर चर्चा हुई। श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित कटघोरा क्षेत्र की भी चर्चा हुई।
इसे भी पढ़ें : NTPC सीपत में लगने वाले विश्व के पहले AUSCT संयंत्र के लिए मिली पर्यावरणीय मंजूरी
जिओलाजिकल सर्वे आफ इंडिया ने कटघोरा के लगभग 250 हेक्टेयर क्षेत्र में लीथियम के बड़ा भंडार होने की पुष्टि की है। श्याम बिहारी जायसवाल ने केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी के हवाले से बताया कि छत्तीसगढ़ में पहली लिथियम माइन कटघोरा में शुरू होने की तैयारी हो चुकी है जिससे छत्तीसगढ़ आर्थिक रूप से और अधिक मजबूत होगा।
यहां बताना होगा कि छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा- घुचापुर में स्थित लिथियम ब्लॉक ऑक्शन के जरिए आबंटित किया गया है। देश का पहला लिथियम ब्लॉक मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड को मिला है। 24 जून, 2024 को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में लिथियम ब्लॉक के बोलीदाता के नाम की घोषणा की गई खान मंत्रालय ने 29 नवम्बर, 2023 को देशभर में स्थित 20 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की पहली किश्त की नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ की थी। इसमें छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित कटघोरा- घुचापुर में स्थित लिथियम ब्लॉक के लिए नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी।
Click here to connect with as on WhatsApp Chhannel
कटघोरा- घुचापुर में 256.12 हेक्टेयर में लिथियम ब्लॉक फैला हुआ है। इसमें 84.86 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड है। यहां लिथियम एंड री ब्लॉक (Katghora Lithium and REE Block) का जी- 4 सर्वे हो चुका है। सर्वे के अनुसार यहां पर्याप्त मात्रा में रेअर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements) की उपलब्धता है। नीलामी से जुटाया गया राजस्व राज्य सरकार को भी मिलेगा।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि जिओलाजिकल सर्वे आफ इंडिया में कटघोरा के लगभग 250 हेक्टेयर क्षेत्र में लीथियम का बड़ा भंडार होने की पुष्टि हुई है। जहाँ जल्द ही देश की पहली लीथियम खदान खुलेगी। इस खदान के शुरु हो जाने से हमारा छत्तीसगढ़ आने वाले समय में देश के अग्रणी राज्यों में से एक होगा और विकसित भारत – 2047 के निर्माण में छत्तीसगढ़ के लीथियम भंडार का अहम योगदान होगा।
क्या है लिथियम
लिथियम एक रासायनिक पदार्थ है, जिसे सबसे हल्की धातुओं की श्रेणी में रखा जाता है। यहां तक कि धातु होने के बाद भी ये चाकू या किसी नुकीली चीज से आसानी से काटा जा सकता है। इस पदार्थ से बनी बैटरी काफी हल्की होने के साथ-साथ आसानी से रिचार्ज हो जाती है। लिथियम का इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरियों में होता है और इस क्षेत्र में चीन का भारी दबदबा है। REE के विशिष्ट गुणों के कारण इसका इस्तेमाल स्मार्ट फोन, एचडी डिस्प्ले, इलेक्ट्रिक कार, वायुयान के महत्त्वपूर्ण उपकरण, परमाणु हथियार और अंतरिक्ष कार्यक्रमों के साथ कई अन्य महत्त्वपूर्ण तकनीकी विकास में होता है। भारत लिथियम को लेकर चीन से अपनी निर्भरता पूरी तरह से खत्म करने के प्रयास में है।
इसे भी पढ़ें : कोयला मंत्रालय ने कहा- MDO कोयला खनन में क्रांति लाने एक परिवर्तनकारी पहल
आसान होगा स्वदेशी बैटरी निर्माण
लिथियम के स्रोत पर अधिकार होने के बाद भारत के लिए अपने देश के अंदर ही बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा। नीति नीति आयोग इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रही है जिसमें भारत में बैटरी की गीगाफैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी। भारत में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत भी काफी कम होगी, क्योंकि बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का लगभग 30 फीसदी होती है।
एक टन की कीमत 57.36 लाख रुपए
दुनिया भर में भारी मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है। ग्लोबल मार्केट में एक टन लीथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपए है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इस लिहाज से भारत में लिथियम का अपार भण्डार मिलना देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा संकेत है।