कोयला मंत्रालय ने नई दिल्ली में “रेल-समुद्र-रेल (आरएसआर) मोड के माध्यम से सतत कोयला परिवहन के अवसरों की खोज” विषय पर एक हितधारक परामर्श बैठक आयोजित किया।

इस परामर्श बैठक का उद्देश्य कोयला लॉजिस्टिक्स मूल्य श्रृंखला में प्रमुख भागीदारों के बीच आम सहमति और तालमेल बनाना था, ताकि अधिक कुशल, लचीले और सतत भविष्य के लिए बहुअयामी परिवहन को बढ़ावा दिया जा सके।

मुख्य भाषण देते हुए कोयला मंत्रालय के सचिव श्री विक्रम देव दत्त ने आरएसआर मॉडल को एक दूरदर्शी पहल बताया, जो देश के व्यापक लक्ष्यों जैसे कि रसद दक्षता को बढ़ाने, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के अनुरूप है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरएसआर परिवहन, जो रेल और तटीय शिपिंग को एकीकृत करता है, न केवल एक किफायती विकल्प है, बल्कि इसके कम कार्बन फुटप्रिंट के कारण यह पर्यावरण के लिए भी काफी अनुकूल है।

श्री दत्त ने दूरदराज के उपभोग केंद्रों, विशेष रूप से दक्षिणी और पश्चिमी भारत में कोयले की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नवीन, स्मार्ट, हरित और अधिक लचीली बहुअयामी परिवहन प्रणालियों को अपनाने के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने आरएसआर आवाजाही के सफल कार्यान्वयन के लिए बुनियादी ढांचे को सुव्यवस्थित करने, संचालन को अनुकूलित करने और प्रक्रियात्मक बाधाओं को दूर करने के लिए मंत्रालयों, राज्य सरकारों, बिजली उत्पादन कंपनियों (जेनकोस), कोयला उत्पादकों, बंदरगाह अधिकारियों और रसद प्रदाताओं के बीच घनिष्ठ समन्वय का आह्वान किया।

इस परामर्श में रेल मंत्रालय, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्लू), विद्युत मंत्रालय, राज्य सरकारों, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), कैप्टिव और वाणिज्यिक खनिकों, जेनकोस और पत्तन संचालकों के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

चर्चाओं के दौरान हितधारकों ने इंटरमॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ाने, पत्तनों पर मशीनीकृत कोयला हैंडलिंग बुनियादी ढांचे को तैनात करने, रेक उपलब्धता में सुधार करने और पत्तन शुल्क को युक्तिसंगत बनाने पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक सुझाव साझा किए।

वित्त वर्ष 2030 तक रेल-समुद्र-रेल (आरएसआर) मोड के माध्यम से 120 मिलियन टन कोयले के परिवहन के अनुमान के साथ कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2026 तक इस मार्ग से 65 मिलियन टन कोयले की ढुलाई करने का लक्ष्य रखा है।

इस लक्ष्य को रेल मंत्रालय द्वारा जारी टेलीस्कोपिक फ्रेट सर्कुलर जैसी प्रमुख पहलों द्वारा समर्थित किया जाएगा, जो पर्याप्त माल ढुलाई बचत प्रदान करता है और पत्तन कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए रेल सागर कॉरिडोर के तहत नियोजित बुनियादी ढांचा विस्तार द्वारा भी सहायता मिलेगी।

आगे चलकर, पर्याप्त रेक आपूर्ति और खदानों को पत्तनों से जोड़ने वाला मजबूत रेल बुनियादी ढांचा रेल मंत्रालय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां होगी। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय शिपिंग और पत्तन हैंडलिंग शुल्क को अनुकूलित करने और समर्पित कोयला बर्थ विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इन समन्वित अंतर-मंत्रालयी प्रयासों से आरएसआर मॉडल को मजबूत गति मिलने तथा देश भर में कोयला परिवहन की स्थिरता और दक्षता में काफी सुधार होने की उम्मीद है।

मंत्रालय ने अंतर-एजेंसी सहयोग को बढ़ावा देकर, बुनियादी ढांचे के निवेश को बढ़ावा देकर और आरएसआर परिवहन मॉडल की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए नीतिगत समर्थन प्रदान करके बहुआयामी कोयला लॉजिस्टिक्स को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, ताकि भारत की ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास की यात्रा का समर्थन किया सके।

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