नई दिल्ली, 04 मई। केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी 6 मई, 2022 को मुंबई में एक उच्च स्तरीय निवेशक सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन “राजस्व साझाकरण मोड पर कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की बंद/ठप्प कोयला खदानों की लॉन्चिंग” और “कोयला गैसीकरण; आगे का रास्ता” विषयों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा।
इस निवेशक सम्मेलन को सीआईएल और फिक्की की सहभागिता में कोयला मंत्रालय की ओर से आयोजित किया जाएगा। इसे कोयला, खान और रेल राज्य मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे भी संबोधित करेंगे। इस एक दिवसीय सम्मेलन में कोयला मंत्रालय के सचिव डॉ. अनिल कुमार जैन व अन्य वरिष्ठ अधिकारी, कोल इंडिया लिमिटेड तथा उद्योग क्षेत्र के विशेषज्ञ भी उपस्थित होंगे।
इस निवेशक सम्मेलन के दोपहर से पहले आयोजित सत्र में बंद/ठप्प कोयला खदानों की लॉन्चिंग और इसके राजस्व साझाकरण मॉडल से संबंधित पहलुओं पर अवसरों को प्रदर्शित करने के लिए प्रस्तुतीकरण व वार्ता आयोजित की जाएगी। इसके अलावा सीआईएल की बंद/ठप्प खदानों पर लघु फिल्म का प्रदर्शन इसका एक अन्य प्रमुख आकर्षण होगा।
इसके बाद दोपहर के सत्र में दोनों मंत्री भारत में कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन और कोयला गैसीकरण में व्यापार करने में सुगमता सुनिश्चित करने के विषय को संबोधित करेंगे। वहीं, मंत्री प्रल्हाद जोशी 2030 तक 100 मिलियन टन कोयला गैसीकरण प्राप्त करने के लिए सरकार के प्रयासों में निजी क्षेत्र की भागीदारी की अपेक्षा को समझने के उद्देश्य से इस सत्र की अध्यक्षता करेंगे।
इसके अलावा मंत्री कोयला मंत्रालय की दो रिपोर्ट यानी “कोयला क्षेत्र के लिए प्रौद्योगिकी रोडमैप” और “कोयला से हाइड्रोजन के लिए रोडमैप” को लॉन्च करेंगे।
भारत में 307 मिलियन टन तापीय कोयले का भंडार है और उत्पादित कोयले का लगभग 80 फीसदी ताप विद्युत संयंत्रों में उपयोग किया जाता है।
पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयला गैसीकरण के लिए एक मिशन दस्तावेज तैयार किया है। कोयले के दहन की तुलना में कोयला गैसीकरण को स्वच्छ विकल्प माना जाता है।
गैसीकरण कोयले के रासायनिक गुणों के उपयोग की सुविधा प्रदान करता है। कोयले से उत्पादित संश्लेषण गैस का उपयोग गैसीय ईंधन जैसे कि हाइड्रोजन (सीसीयूएस के साथ नीला युग्मित), प्राकृतिक गैस (एसएनजी या मीथेन), डाई-मिथाइल ईथर (डीएमई) और तरल ईंधन जैसे मेथनॉल, इथेनॉल, सिंथेटिक डीजल व रासायन जैसे कि मेथनॉल साधित (डेरिवेटिव), ओलेफिन्स, प्रोपीन, मोनो-एथिलीन ग्लाइकोल (एमईजी) और विद्युत उत्पादन के साथ नाइट्रोजन उर्वरक, अमोनिया, डीआरआई, औद्योगिक रसायन के उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
ये उत्पाद आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में सहायता करेंगे। उपरोक्त उद्देश्य के अनुरूप कोयला मंत्रालय ने कोयला गैसीकरण के जरिए कोयले के उपयोग की पहल की है और साल 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयला गैसीकरण प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय मिशन दस्तावेज तैयार किया है।
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