विद्युत मंत्रालय : इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर हेतु संशोधित दिशानिर्देश एवं मानदंड जारी

इलेक्ट्रिक वाहनों के मालिक अब अपने वाहनों को मौजूदा बिजली कनेक्शन का उपयोग करके अपने आवास/कार्यालयों में चार्ज कर सकते हैं

केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने 14 जनवरी, 2022 को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर हेतु संशोधित दिशानिर्देश और मानदंड जारी किए हैं। इसका उद्देश्य सुरक्षित, विश्वसनीय, सुलभ और किफायती चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एवं इको-सिस्टम सुनिश्चित करके भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने में सक्षम बनाना है। यह पूरे ईवी इको-सिस्टम को बढ़ावा देकर देश की ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ उत्सर्जन की तीव्रता में कमी को भी सुनिश्चित करेगा।

ये दिशानिर्देश व्यापक हैं और इनमें ए) इलेक्ट्रिक वाहनों के व्यक्तिगत मालिकों के लिए, बी) सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों (पीसीएस) के लिए प्रावधान शामिल हैं। एक महत्वपूर्ण उपाय के रूप में, मालिक अपने मौजूदा बिजली कनेक्शन का उपयोग करके अपने निवास/कार्यालयों पर अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज कर सकते हैं। सार्वजनिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ लंबी दूरी के ईवी और/या भारी ईवी के लिए सार्वजनिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए इससे जुड़ी आवश्यकताओं को चिन्हित किया गया है।

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कोई भी व्यक्ति/संस्था बिना लाइसेंस की आवश्यकता के सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते कि ऐसे स्टेशन ऊर्जा मंत्रालय, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा समय-समय पर निर्धारित मार्गनिर्देशों के तहत निष्पादन संबंधी मानदंडों तथा प्रोटोकोल के साथ-साथ तकनीकी, सुरक्षा संबंधी मानदंडों/मानकों/विनिर्देशों को पूरा करते हों। पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) के लिए अनुपालन संबंधी आवश्यकताओं की एक विस्तृत सूची को भी चिन्हित किया गया है। इनमें नागरिक, बिजली तथा सुरक्षा से जुड़ी जरूरतों के लिए “उपयुक्त” बुनियादी सुविधाओं के मानदंड शामिल हैं।

प्रौद्योगिकी के अनुकूल चार्जिंग मानक: न केवल बाजार में उपलब्ध प्रचलित अंतरराष्ट्रीय चार्जिंग मानकों के लिए बल्कि नए भारतीय चार्जिंग मानकों के प्रावधान द्वारा मार्गनिर्देशों को और भी अधिक प्रौद्योगिकी के अनुकूल बनाया गया है।

राजस्व हिस्सेदारी मॉडल के माध्यम से पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) की स्थापना के लिए उत्साहवर्धक दरों पर भूमि: इलेक्ट्रिक वाहनों की वृद्धि होने तक की अवधि में चार्जिंग स्टेशन को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाने की चुनौती के समाधान को लेकर, उपयोग की जाने वाली भूमि के लिए एक राजस्व हिस्सेदारी मॉडल रखा गया है। सरकारी/सार्वजनिक संस्थाओं के पास उपलब्ध भूमि सरकारी/सार्वजनिक इकाई को राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर पब्लिक चार्जिंग स्टेशन की स्थापना के लिए 1 रुपया/केडब्ल्यूएच (चार्जिंग के लिए प्रयुक्त) की निर्धारित दर पर उपलब्ध कराई जाएगी।

इसके लिए भू-स्वामित्व वाली एजेंसी को ऐसे पीसीएस व्यवसाय से त्रैमासिक आधार पर भुगतान करना होगा। दिशानिर्देशों के तहत एक मॉडल रेवेन्यू शेयरिंग एग्रीमेंट को भी शामिल किया गया है। इस तरह के राजस्व बंटवारे के समझौते को शुरू में पार्टियों द्वारा 10 साल की अवधि के लिए दर्ज किया जा सकता है। सार्वजनिक भूमि के स्वामित्व वाली एजेंसी द्वारा पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए बोली के आधार पर 1 रुपया/केडब्ल्यूएच की न्यूनतम दर से एक निजी संस्था को भूमि उपलब्ध कराने के लिए राजस्व हिस्सेदारी मॉडल भी अपनाया जा सकता है।

पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) की स्थापना के लिए कनेक्टिविटी प्रदान करने की समय-सीमा: विद्युत (उपभोक्ता अधिकार) के अनुसार समय-सीमा निर्धारित की गई है। इसके अनुसार मेट्रो शहरों में सात दिनों के भीतर, अन्य नगरपालिका क्षेत्रों में पंद्रह दिनों के भीतर और ग्रामीण क्षेत्रों में तीस दिनों के भीतर पीसीएस को कनेक्शन प्रदान किया जाएगा। इन समय-सीमा के भीतर वितरण लाइसेंसधारी नया कनेक्शन प्रदान करेंगे या मौजूदा कनेक्शन में सुधार करेंगे।

ईवी पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों को बिजली की आपूर्ति के लिए टैरिफ: सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों को बिजली की आपूर्ति के लिए टैरिफ एक सिंगल पार्ट टैरिफ होगा और 31 मार्च, 2025 तक “आपूर्ति की औसत लागत” से अधिक नहीं होगा। वही टैरिफ बैटरी चार्जिंग स्टेशन (बीसीएस) के लिए लागू होगा। घरेलू खपत के लिए लागू टैरिफ ही घरेलू चार्जिंग के लिए लागू होगा।

राज्य सरकार सेवा शुल्क की सीमा तय करेंगी: चूंकि बिजली रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जा रही है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कई मामलों में पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी प्रदान की जा रही है, राज्य सरकार ऐसे चार्जिंग स्टेशनों द्वारा लिए जाने वाले सेवा शुल्क की उच्चतम सीमा तय करेगी।

खुली पहुंच: कोई भी पब्लिक चार्जिंग स्टेशन/चार्जिंग स्टेशनों की श्रृंखला खुली बहुत – ओपन एक्सेस के माध्यम से किसी भी उत्पादक कंपनी से बिजली प्राप्त कर सकती है। इस उद्देश्य के लिए सभी प्रकार से पूर्ण आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर खुली पहुंच प्रदान की जाएगी। उन्हें क्रॉस सब्सिडी के वर्तमान स्तर (टैरिफ नीति दिशानिर्देशों के अनुसार 20 प्रतिशत से अधिक नहीं) के लिए लागू अधिभार के बराबर, ट्रांसमिशन शुल्क और व्हीलिंग शुल्क का भुगतान करना होगा। इस प्रावधान में किए गए उल्लेख के अलावा कोई अन्य अधिभार या शुल्क नहीं लगाया जाएगा।

पब्लिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों का डेटाबेस: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) राज्य नोडल एजेंसियों (एसएनए) के परामर्श से सभी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों का एक राष्ट्रीय ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करके उसका रखरखाव करेगा। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो पूरे देश में पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों के डेटाबेस के लिए एक वेब-पोर्टल/सॉफ्टवेयर/मोबाइल एप्लिकेशन तैयार करेगा। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो – ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) के पास उपलब्ध विवरण के अनुसार, पूरे देश में कुल 1028 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) स्थापित किए गए हैं।

केंद्रीय नोडल एजेंसी (सीएनए) के रूप में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले 9 प्रमुख शहरों (मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, सूरत और पुणे) के लिए पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए कार्ययोजना तैयार करने की प्रक्रिया चला रहा है। इन शहरों में अब तक चार्जर की स्थापना के लिए सामान्य व्यवसाय (बीएयू), मध्यम और सघन परिदृश्य के लिए एक परिदृश्य-वार लक्ष्य तैयार किए गए हैं। इन लक्ष्यों को विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों एवं मानकों के तहत इन शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) वृद्धि अनुमान, ईवी चार्जिंग मांग में वृद्धि आदि आवश्यकताओं के आधार पर तैयार किया गया है। प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार 2030 तक इन शहरों में पीसीएस की स्थापना के लिए, बीएयू परिदृश्य के तहत कुल 3263 चार्जर, मध्यम परिदृश्य के तहत 23,524 चार्जर और सघन परिदृश्य के तहत 46,397 चार्जर लक्षित किए जा रहे हैं।

नेटवर्क सेवा प्रदाता: पब्लिक चार्जिंग स्टेशन को कम से कम एक ऑनलाइन नेटवर्क सेवा प्रदाता (एनएसपी) के साथ गठजोड़ करना होगा, ताकि ईवी मालिकों द्वारा चार्जिंग स्लॉट की अग्रिम रिमोट/ऑनलाइन बुकिंग को सक्षम बनाया जा सके। ईवी मालिकों को दिए जाने वाले इस तरह के ऑनलाइन विवरण में स्थान, श्रेणी तथा स्थापित/उपलब्ध चार्जरों की संख्या, ईवी चार्जिंग के लिए सेवा शुल्क आदि के बारे में जानकारी भी शामिल होनी चाहिए।

पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों का स्थान: संभावित ईवी मालिकों की रेंज संबंधी चिंता को दूर करने के उद्देश्य से, 3 किमी X 3 किमी के ग्रिड में कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध कराने के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, राजमार्गों/सड़कों के दोनों ओर प्रत्येक 25 किमी पर एक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा। लंबी दूरी के ईवी और/या बसों/ट्रकों आदि जैसे भारी ईवी के लिए, हर 100 किलोमीटर पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ कम से कम एक फास्ट चार्जिंग स्टेशन होना चाहिए, जो कि प्रमुखता से पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों के भीतर/बाहर स्थित राजमार्गों/सड़क के प्रत्येक किनारे पर हो।

ईवी पब्लिक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का रोलआउट, नीचे दिए गए दिशानिर्देशों के तहत चरणवार इंस्टॉलेशन की परिकल्पना की गई है –

चरण I (1-3 वर्ष): 2011 की जनगणना के अनुसार 4 मिलियन से अधिक की जनसंख्या वाले सभी मेगा शहरों, इन मेगा शहरों से जुड़े सभी मौजूदा एक्सप्रेसवे और इन मेगा शहरों में से प्रत्येक से जुड़े महत्वपूर्ण राजमार्गों को कवरेज के लिए लिया जा सकता है। इन मेगा सिटीज और मौजूदा कनेक्टेड एक्सप्रेसवे की सूची तैयार की गई है।

चरण II (3-5 वर्ष): राज्यों की राजधानियों, केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यालय जैसे बड़े शहरों को भी वितरित और प्रदर्शनयोग्य प्रभाव के लिए कवर किया जा सकता है। इसके अलावा, इन मेगा शहरों में से प्रत्येक से जुड़े महत्वपूर्ण राजमार्गों को कवरेज के लिए लिया जा सकता है।

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केंद्रीय नोडल एजेंसी: ईवी पब्लिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के रोलआउट के लिए ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) केंद्रीय नोडल एजेंसी होगी। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) सहित सभी संबंधित एजेंसियां ​​​​केंद्रीय नोडल एजेंसी को आवश्यक सहायता प्रदान करेंगी। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए प्रत्येक राज्य सरकार उस राज्य के लिए एक नोडल एजेंसी नामित करेगी। राज्य डिस्कॉम सामान्यतः ऐसे उद्देश्यों के लिए नोडल एजेंसी होगी। तथापि, राज्य सरकार अपनी नोडल एजेंसी के रूप में शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी), शहरी/क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों आदि सहित किसी केंद्रीय/राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) का चयन करने के लिए स्वतंत्र होगी।

ये दिशानिर्देश और मानक 1 अक्टूबर, 2019 को विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित “इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर – दिशानिर्देश तथा मानक” और उसके बाद के संशोधन दिनांक 08.06.2020 का स्थान लेंगे। संपूर्ण दिशा-निर्देश विद्युत मंत्रालय की वेबसाइट पर देखे जा सकते हैं।

गो इलेक्ट्रिक अभियान: ई-मोबिलिटी ट्रांजिशन के लिए भारत सरकार के प्रयास के हिस्से के रूप में, बिजली मंत्रालय ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय तथा नीति आयोग के साथ मिलकर ई-मोबिलिटी के लाभों पर आम जनता, संभावित ईवी मालिकों को ईवी अपनाने के लिए सरकारी प्रोत्साहनों के बारे में सूचित करने, जिज्ञासा पैदा करने और इसे मांग में बदलने, इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में गलत सूचना को हतोत्साहित करने और एक मंच के तहत कई हितधारकों को एक साथ लाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रव्यापी “गो इलेक्ट्रिक” अभियान शुरू किया है। “गो इलेक्ट्रिक” अभियान के तहत, राज्य नोडल एजेंसियों (एसएनए) ने देश भर के कई राज्यों में लगभग 15 रोड शो, 35 वेबिनार और रेडियो जिंगल, ईवी कार्निवल, होर्डिंग्स, पैम्फलेट, बिजली बिलों पर विज्ञापनों सहित कई अन्य जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया है।

 

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