नेशनल मोनाइजेशन पाइपलाइन के तहत सरकारी संपत्तियों के मौद्रीकरण के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने ही मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भारतीय मजदूर संघ ने 70 पीएसयू के मोनेटाइजेशन के फैसले के विरोध में 2 नवंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।
‘अमर उजाला’ के अनुसार भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री विनय कुमार सिन्हा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के कारण महंगाई बेलगाम हो रही है और उससे निपटने में सत्ता में बैठे निर्णायक लोग लाचार होकर उलजलूल फैसले ले रहे हैं। एक जिम्मेदार श्रमिक संगठन होने के नाते भारतीय मजदूर संघ का यह धर्म है कि सरकार के फैसले के खिलाफ सड़क पर उतर कर उनकी गलत नीतियों का विरोध करें।
राष्ट्रीय महामंत्री विनय कुमार सिन्हा ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने 70 पीएसयू के मोनेटाइजेशन का जो फैसला लिया है वह मजदूर संघ को नीतिगत रूप से मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि धन जुटाने के लिए सरकारी संस्थानों का मोनेटाइजेशन करना ‘गहना बेच कर घर चलाने’ जैसा है। सरकार जमीनी हकीकत को समझे बगैर ऐसे फैसले ले रही है, जिसे भारतीय मजदूर संघ कतई स्वीकार नहीं करेगा।
विनय कुमार सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार की तमाम आर्थिक नाकामियों के विरोध में भारतीय मजदूर संघ सहित कई संगठन 2 नवंबर को देश भर के जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि देश में बढ़ती महंगाई के विरोध में 2 सितंबर को भी सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।