सरकार नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन लॉन्च किया है। इसके मुताबिक अब रेलवे के स्टेशन, माल गोदाम और पटरी ही नहीं, रेलवे के स्टेडियम और अधिकारियों के बंगले भी बिकेंगे।
यूं तो रेलवे के सभी श्रेणी के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए कॉलोनी की व्यवस्था है, लेकिन रेलवे में अधिकारियों के बंगले तो कुछ ज्यादा ही बड़े होते हैं। अब सरकार ने फैसला किया है कि देश के कुछ कॉलोनी को मोनेटाइज किया जाएगा। मतलब कि उसे रिडेवलपमेंट के नाम पर निजी बिल्डरों को दे दिया जाएगा ताकि रेलवे को पैसा मिले। आइए हम आपको बताते हैं कि रेलवे की प्रॉपर्टी से पैसा बनाने की स्कीम क्या है?
रेलवे की प्रॉपर्टी से कैसे बनेगा पैसा?
सरकार ने तय किया है कि रेलवे की प्रॉपर्टी को मोनेटाइज किया जाएगा। मतलब कि रेलवे स्टेशन, रेलवे के माल गोदाम, रेलवे के स्टेडियम, रेलवे की कॉलोनी, रेलवे के खेल के मैदान जैसे रियल एस्टेट (Real Estate) को निजी हाथों को सौंपा जाएगा। इसके बदले निजी कंपनी सरकार को कुछ पैसे देगी। यही मोनेटाइजेशन की प्रक्रिया है।
मोनेटाइजेशन प्रक्रिया क्या प्राइवेटाइजेशन से अलग है?
आर्थिक जगत से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि मोनेटाइजेशन भी दरअसल प्राइवेटाइजेशन ही है। चूंकि प्राइवेटाइजेशन शब्द आम आदमी भी समझने लगे हैं। इसलिए सरकार प्राइवाइटाजेशन शब्द का उपयोग करने से बच रही लगती है। इसलिए मोनेटाइजेशन शब्द का उपयोग कर रही है। दोनों का उद्देश्य एक ही है, सरकारी संपत्ति प्राइवेट पार्टी को सौंप कर पैसे जुटाना।
रेलवे की कौन सी प्रॉपर्टी बेची जाएगी?
ऐसा कहा जाता है कि देश में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के पास सबसे ज्यादा जमीन है। रेलवे की जमीन तो हर शहर के बीच में है। रेलवे स्टेशन के पास ही रेलवे की कॉलोनी होती है। बड़े शहरों में अधिकारियों की कॉलोनी होती है। रेल अधिकारियों के बंगले तो इतने बड़े होते हैं कि कई अधिकारी अपने बंगले के अंदर गेहूं और धान की खेती भी करते हैं। अब सरकार ने फैसला लिया है कि इन्हीं कॉलोनी में से कुछ चुनिंदा कॉलोनी को बेची जाएगी। इसके साथ ही 15 रेलवे स्टेडियम भी बेचे जाएंगे।
रेलवे की सभी कॉलोनी का निजीकरण होगा?
सरकार ने कहा है कि फिलहाल रेलवे की चुनिंदा कॉलोनियों का ही निजीकरण होगा। योजना है कि रियल एस्टेट की कीमतों का लाभ उठाया जाए और रेलवे कॉलोनी में फालतू पड़ी जमीन को निजी क्षेत्र को सौंपा जाए। नीति आयोग के सूत्रों का कहना है कि रेलवे में अधिकारियों के बंगले काफी बड़े होते हैं। इनमें काफी जमीन फालतू पड़ी है। ऐसा किया जा सकता है कि रेल अधिकारियों के लिए मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बना दी जाए और बंगलों को निजी हाथों में सौंप दिया जाए।
रेलवे की और क्या क्या संपत्ति निजी कंपनी को सौंपने की योजना है?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमणन ने कल जो नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन का खुलासा किया है, उसके मुताबिक देश भर में 400 रेलवे स्टेशनों को बेचा जाना है। इसके अलावा रेलवे के 265 माल गोदाम भी निजी हाथों में जाएगा। पूरा का पूरा कोंकण रेलवे के निजीकरण की योजना है। इसके साथ ही 1400 किलोमीटर लंबा रेलमार्ग भी निजी हाथों में सौंप कर पैसे बनाया जाएगा। साथ ही कालका शिमला रेलवे की तरह रेलवे के चार हिल रेलवे का भी निजीकरण होगा।
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