नई दिल्ली, 15 अप्रेल। परंपरागत ईंधन की जगह नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने की दिशा में बढ़ते हुए देश को कोयले की खदानों में काम करने वाले लोगों के हितों की रक्षा करनी होगी और उनमें नए सिरे से कौशल विकास के लिए एक मजबूत कार्ययोजना की जरूरत होगी।
एक रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को यह कहा गया। ईवाई, एसईडी फंड और फिक्की की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया कि भारत का ऊर्जा क्षेत्र दुनिया में सर्वाधिक विविधतापूर्ण क्षेत्रों में से एक है। देश की कुल ऊर्जा उत्पादन क्षमता में से 62 फीसदी हिस्सेदारी कोयले के जरिये तापीय ऊर्जा उत्पादन की है। ‘
भारत में कोयले से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर ईंधन परिवर्तन पर कौशल कार्ययोजना’ शीर्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारत वैश्विक स्तर पर निरंतर प्रयास कर रहा है।
ईवाई इंडिया में भागीदार एवं लीडर (ऊर्जा एवं यूटिलिटीज) सोमेश कुमार ने कहा कि भारत के संदर्भ में ऊर्जा बदलाव की बात अभी शुरुआती चरण में हैं, यह बेहद आवश्यक है कि इस परिवर्तन को रणनीतिक और योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया जाए ताकि यह परिवर्तन सुगमता से हो सके।
विशेषकर उन कार्यबलों के लिए जो इन क्षेत्रों से जुड़े हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कोयला खदानों से प्रत्यक्ष रूप से 7.25 लाख से अधिक रोजगार और अप्रत्यक्ष रूप से भी कई रोजगार जुड़े हैं।
पुराने कोयला संयंत्रों, खदानों को बंद करने से इनसे जुड़े हजारों कामगारों की आजीविका प्रभावित होगी। इसमें कहा गया, ‘‘इन कामगारों को नए कौशल से लैस करना होगा।
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