पटना, 07 अप्रेल। शुक्रवार को बिहार की राजधानी पटना में भारतीय मजदूर संघ (BMS) के 20वें त्रैवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन का आगाज हुआ। तीन दिवसीय इस अधिवेशन में देशभर से ढाई हजार प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरण्मय पांड्या ने कहा कि सरकार की सामाजिक प्रगति की धीमी गति के कारण इसका लाभ नीचे तबके के श्रमिकों तक नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने कह कि नए भारत का उदय तभी होगा, जब आखिरी मजदूर तक विकास पहुंचेगा।
हिरण्मय पांड्या ने कहा कि बीएमएस भारत ही नहीं विश्व में भी सर्वाधिक सदस्यता वाला श्रमिक संगठन है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संपत्ति पर श्रमिकों का भी अधिकार है। सरकार, उद्योग, श्रमिक ये तीन पिल्लर हैं। बीएमएस 1955 से राष्ट्रहित, उद्योगहित, श्रमिकहित की बात करते आ रहा है। बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चार नए लेबर कोड का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि चार में दो कानून, जिसमें न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान है, का बीएमएस स्वागत करता है। सामाजिक सुरक्षा की बात हम 2014 से उठाते आ रहे हैं। नए लबेर कोड के दो कानून मजदूर हित के विरोध वाले हैं। इसमें संशोधन की आवश्यकता है। देश में 94 फीसदी लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं और ये लोग इस कानून के दायरे से बाहर हो रहे हैं।
श्री पांड्या ने कहा कि भारत सरकार को बीएमएस के सुझाव और प्रतिनिधित्व को स्वीकार करना चाहिए, लेकिन सरकार ने भविष्य निधि की उपयोगी समिति से बीएमएस के एक प्रतिनिधि को बाहर कर दिया। बीएमएस ने सरकार के समक्ष न्यूनतम पांच हजार रुपए पेंशन की मांग रखी थी। सरकार ने जब बजट प्रस्तुत किया तो निराशा हाथ लगी।
बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दूसरे श्रमिक संगठनों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा राजनीति से सम्बद्ध वाले श्रमिक संगठनों का अलग हित होता है। वे मजदूर हित से न्याय नहीं कर पाते हैं। श्री पांड्य ने भारतीय मजदूर संघ के कार्य विस्तार पर जोर देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीएमएस अपनी छाप छोड़ रहा है।
मुख्य अतिथि एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह व अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य वी भागैय्या ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ एक श्रमिक संगठन मात्र नहीं बल्कि एक साधना है। विशिष्ट अतिथि आईएलओ डीब्ल्यूटी एवं सीओ इंडिया तथा वर्कस विशेषज्ञ सईद सुल्तानउद्दीन अहमद ने श्रमिकों पर अपनी रखी और कहा कि बीएमएस के उपर एक बड़ी जिम्मेदारी है।
राष्ट्रीय महामंत्री रवीन्द्र हिमते ने कहा कि बीएमएस एक सशक्त संगठन है। जिसकी आवाज भारत की नहीं पूरे विश्व में गूंज रही है। श्री हिमते ने अधिवेशन के आयोजन को लेकर भी अपनी बात रखी। अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में इंटक सहित अन्य संगठनों के पदाधिकारी भी सम्मिलित हुए।
स्वागत भाषण देते हुए आचार्य किशोर कुणाल ने कहा है कि श्रम को स्नेह और श्रमिकों को सम्मान मिले, यही कामना है l वहीं, धन्यवाद ज्ञापन बिहार विधान परिषद सदस्य संजय पासवान ने किया l इस अवसर पर भारतीय मजदूर संघ की उपाध्यक्ष नीता चौबे, इंटक के चन्द्र प्रकाश सिंह, टी यू सी सी के महामंत्री एस पी तिवारी, पटना की महापौर सीता साहू आदि उपस्थित थीं l
नहीं पहुंच सके कोयला मंत्री जोशी
केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी को अधिवेशन के उद्घाटन में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होना था, लेकिन वे नहीं आ सके। राष्ट्रीय महामंत्री रवीन्द्र हिमत ने उनके संदेश का वाचन किया। श्री जोशी ने अपने संदेश में कहा कि बीएमएस भारत का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन है। बीएमएस के लिए राष्ट्रहित, उद्योगहित और श्रमिकहित हमेशा सर्वोपरि रहा है। बीएमएस श्रमिकों के हितों के लिए सकारात्मक योगदान देने में अग्रणी रहा है और श्रमिक कल्याण को नई ऊंचाई तक ले जाने का काम किया जा रहा है।
शनिवार को निकलेगी रैली
बिहार में पहली बार हो रहे त्रैवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन में देशभर से संगठित और असंगठित क्षेत्र के ढाई हजार प्रतिनिध भाग लेंगे। 8 अप्रेल को खुला अधिवेशन होगा। इसके पूर्व एक रैली भी निकाली जाएगी। इसी दिन महिला कार्य एवं सहभागिता पर विशेष सत्र होगा। राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिवस यानी 9 अप्रेल को भारतीय मजदूर संघ की नई कार्यकारिणी का गठन होगा। अधिवेशन में श्रमिक सहित अन्य क्षेत्रों को लेकर कई प्रस्ताव भी लाए जाएंगे।