नई दिल्ली, 08 दिसम्बर। 11वें वेतन समझौते को लेकर देश के कोल सेक्टर में 9 दिसम्बर से आंदोलन का आगाज होगा। कोल इंडिया एवं अनुषांगिक कंपनियों सहित सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड की सभी क्षेत्रों में विरोध दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत प्रदर्शन और गेट मीटिंग होगी। श्रमिक संगठनों ने इसकी तैयारी कर ली है।
यहां बताना होगा कि 30 नवम्बर को सीआईएल मुख्यालय में आयोजित जेबीसीसीआई की 7वीं बैठक बगैर नतीजा खत्म हो गई थी। यूनियन ने अपनी मांग से नीचे आते हुए 28 फीसदी एमजीबी देने का प्रस्ताव रखा था। सीआईएल प्रबंधन 10.50 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ा। प्रबंधन ने साफ कहा कि डीपीई का ऑफिस मेमोरेंडम इससे आगे बढ़ने की इजाजत नहीं देता है। डीपीई की गाइडलाइन में छूट के बगैर वेतन समझौता संभव नहीं है।
सीआईएल प्रबंधन के इस रवैये पर यूनियन ने आंदोलन ने संयुक्त रूप से आंदोलन का ऐलान किया। 9 दिसम्बर को सीआईएल सहित सभी अनुषांगिक कंपनियों के एरिया में विरोध दिवस मनाने तथा 7 जनवरी को रांची में संयुक्त कन्वेंषन किए जाने का निर्णय लिया गया। संयुक्त कन्वेंशन में आंदोलन के आगे की रणनीति तय किया जाने की बात कही गई।
इधर, आंदोलन की घोषणा के चार दिनों बाद कोयला मंत्री प्रल्हाद जोषी का बयान आया कि कोल इंडिया प्रबंधन को वेतन समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है। कोयला मंत्री ने कहा है कि सभी लंबित मुद्दों को सुलझाया जाना चाहिए और इस बात पर जोर दिया कि वह इस मुद्दे पर ट्रेड यूनियनों को हड़ताल पर नहीं जाने देंगे।
कोयला मंत्री के इस बयान को डैमेज कंट्रोल के तौर पर देखा गया। दरअसल कोयला मंत्रालय नहीं चाहता की सरकार खिलाफ आंदोलन जैसी कोई स्थिति निर्मित हो।