नई दिल्ली, 14 अगस्त। NCWA- XI को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले ने सीआईएल प्रबंधन और कोयला कामगारों के बीच हड़कंप मचा रखा है। इधर, आज सीआईएल प्रबंधन हाईकोर्ट की डबल बेंच में मामले को लेकर अपील कर सकता है। एचएमएस की भी इसी तरह की तैयारी है।
दूसरी ओर रांची में पांचो यूनियन नेताओं की बैठक हो रही है, देखना होगा कोर्ट के निर्णय पर क्या रणनीति बनती है। आश्चर्य की बात है कि इस बैठक की पहल भारतीय मजदूर संघ (BMS) के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी ने की थी। रेड्डी वही शख्स हैं, जिन्होंने कभी भी लोक उद्यम विभाग (DPE) को मुद्दा नहीं माना। बीएमएस के कोल प्रभारी और उनके दाएं, बाएं रहने वाले लोग यही कहते रहे कि अन्य यूनियन डीपीई को लेकर गुमराह कर रहे हैं। डीपीई के मुद्दे को लेकर 8 अगस्त, 2022 को एचएमएस, सीटू, एटक द्वारा कोल सचिव को भेजे गए पत्र में बीएमएस ने हस्ताक्षर नहीं किए थे।
तत्कालिन चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल की एक्सरसाइज से डीपीई की विशेष छूट के बगैर कोयला मंत्रालय द्वारा एनसीडब्ल्यूए- XI को लागू करने के लिए 22 जून, 2023 को अनुमोदन दे दिया गया था। एनसीडब्ल्यूए- XI लागू भी हो गया और कोयला कामगारों को अगस्त से बढ़ा हुआ वेतन भी मिल गया। 23 माह के एरियर का भुगतान भी कर दिया गया।
जो आशंका थी वही हुआ
इधर, आशंका थी कि एनसीडब्ल्यूए- XI को लागू करने का मामला कानूनी तौर पर उलझ सकता है और यही हुआ। एनसीडब्ल्यू- XI को निरस्त करने को लेकर कोल अफसरों ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट को बताया गया था कि एनसीडब्ल्यू- XI को लागू करने में लोक उद्यम विभाग (DPE) के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 24/11/2017 में निहित प्रावधानों का उल्लंखन किया गया है। उच्च न्यायालय ने अपने 29 अगस्त, 2023 के आदेश के तहत कोयला मंत्रालय द्वारा एनसीडब्ल्यू- 11 को लागू करने जारी 20 जून, 2023 के अनुमोदन पत्र को रद्द कर दिया। कोर्ट ने आदेश जारी होने से 60 दिनों के भीतर डीपीई की गाइडलाइन का उल्लंघन हुआ है या नहीं इसकी जानकारी देने कहा है।
जेबीसीसीआई की तीसरी बैठक में ही डीपीई की अड़चन स्पष्ट हो गई थी
यहां बताना होगा कि सीआईएल ने जेबीसीसीआई की तीसरी बैठक में ही डीपीई के 24/11/2017 को जारी ऑफिस मेमोरेंडम की अड़चन को स्पष्ट कर दिया था। चारों यूनियन ने इस पर सहमति जताई थी और डीपीई की गाइडलाइन में छूट देने की मांग किए जाने पर चर्चा हुई थी। इसी परिप्रेक्ष्य में 7 सितम्बर, 2022 को सीआईएल के निदेशक (कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध) विनय रंजन ने कोयला मंत्रालय को एक पत्र भेजा था। इसमें कोयला मंत्रालय को बताया गया था कि जेबीसीसीआई- की छह बैठकें हो चुकी हैं। प्रबंधन ने पत्र में कोयला मंत्रालय को बताया था कि जेबीसीसीआई के यूनियन सदस्यों को बताया जा चुका है कि डीपीई (Department of Public Enterprises) के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 24/11/2017 में निहित प्रावधानों के तहत ही वेतन समझौते को अंतिम रूप दिया जाना है, जैसा कि डीपीई गाइडलाइन के तहत अन्य सीपीएसई में वेतन समझौता होता है।
सीआईएल निदेशक ने अपने पत्र में कहा था कि जब तक डीपीई की गाइडलाइन में छूट नहीं दी जाती कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते को लेकर आगे बढ़ना संभव नहीं है। पत्र में कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन में ओवरलैपिंग की बात भी लिखी गई थी और कहा गया है कि ऐसा होने से कामगारों और अधिकारियों के मध्य वेतन संघर्ष की स्थिति निर्मित होगी। सीआईएल के इस पत्र के आलोक में कोयला मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के लोक उद्यम विभाग को कार्यालय ज्ञापन दिनांक 24/11/2017 में निहित प्रावधानों में छूट देने की अनुशंसा की थी। बताया गया है कि पत्र में 8वें वेतन समझौते के दौरान भी इस तरह की छूट दी गई थी। वित्त मंत्रालय के लोक उद्यम विभाग द्वारा कोयला मंत्रालय के पत्र पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। कोल अफसरों के संगठन द्वारा भी वेतन विवाद को लेकर निरंतर कोल मंत्रालय एवं सीआईएल से पत्राचार किया जा रहा था। अंततः डीपीई से छूट मिले बगैर की एनसीडब्ल्यू- XI को लागू कर दिया गया।
यह हो सकता है
हालांकि सीआईएल प्रबंधन हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील करने जा रहा है। मामले में संलग्न रही यूनियन एचएमएस द्वारा भी अपील की जा रही है। रांची में यूनियन की बैठक हो रही है, इसमें कोर्ट के फैसले से निपटने की क्या रणनीति बनाई जाती है, यह देखना होगा। बताया गया है डीपीई यदि विशेष छूट देते हुए कोर्ट को एनसीडब्ल्यू- XI में अपनी सहमति जता दे तो मामला बन सकता है। या फिर पीएमओ मामले में हस्तक्षेप करे और डीपीई को छूट देने निर्देशित करे। यूनियन मामले को लेकर कोयला मंत्रालय और सीआईएल पर दबाव बना सकता है। हड़ताल की भी रणनीति बनाई जा सकती है।