बिलासपुर, 03 जुलाई। सोमवार को बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने NCWA- XI के एमओयू के तहत नए वेतनमान के भुगतान पर स्टे देने की मांग वाले आवेदन को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा कि यह आवेदन दुराग्रह से ग्रसित है। एचएमएस के वरिष्ठ नेता नाथूलाल पांडेय एवं इंटक नेता गोपाल नारायण सिंह ने हाईकोर्ट में इंटरवेयर याचिका (Interware Petition) प्रस्तुत की थी।
हाईकोर्ट ने कामगारों के बढ़े हुए वेतन भुगतान को रोकने से साफ मना कर दिया। न्यायालय ने अधिकारियों के आवेदन पर कहा कि मजूदरों के वेतन से आपको क्या लेना- देना है। मजदूरों का भुगतान क्यों रोकना चाहते हैं, यह दुराग्रह से ग्रसित है। न्यायाधीश पीएस कोशी ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप तो जेबीसीसीआई में शामिल भी नहीं हैं। यह मजदूरों की वेतन बढ़ोतरी का मामला है और आपको क्या परेशानी है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इससे वेतन विसंगति की स्थिति बन गयी है। इस पर अदालत ने कहा कि वेतन समझौते पर स्टे नहीं होगा, हम आपकी पूरी बात सुनेंगे। अगली सुनवाई चार सितंबर को होगी। कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से चंद्रेश श्रीवास्तव और केंद्र की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल सुधीर कुमार वाजपेयी ने अपनी-अपनी दलीलें दी। एचएमएस की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल सुनील ओटवानी ने इस मामले में इंटरवेयर बनने का आवेदन दियाए जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
इस संदर्भ ने HMS नेता नाथूलाल पांडेय ने industrialpunch.com से चर्चा करते हुए बताया कि उनके द्वारा प्रस्तुत की गई इंटरवेयर याचिका को हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। हाईकोर्ट ने नए वेतनमान के भुगतान पर रोक लगाने से साफ मना कर दिया और इससे संबंधित मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। NCWA- XI के एमओयू को रद्द करने वाली मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 4 सितम्बर, 2023 की तारीख मुकर्रर की है। एचएचएस नेता इंटरवेयर याचिका को हाईकोर्ट में डिप्टी एजी श्री मोटवानी एवं अधिवक्ता शिवांशु पांडेय ने प्रस्तुत की।
एचएमएस नेता श्री पांडेय ने कहा कि कामगारों के हक के वेतन को रोकने की मांग करना उचित नहीं है। यह आपस में मतभेद पैदा करने वाला कार्य है। एचएमएस इसकी घोर निंदा करता है। पहली बार ऐसा हुआ है अधिकारियों के एक वर्ग ने वेतन भुगतान को रोकने की कोर्ट से गुहार की। कोल सेक्टर कामगारों और अधिकारियों के समन्वय से प्रगति कर रहा है।
इंटक (Intuc) से सम्बद्ध साउथ ईस्टर्न कोयला मजदूर कांग्रेस के केन्द्रीय अध्यक्ष एवं जेबीसीसीआई सदस्य गोपाल नारायण सिंह ने बताया उनके अधिवक्ता शैलेन्द्र शुक्ला द्वारा इस संदर्भ में हाईकोर्ट में इंटरवेयर याचिका प्रस्तुत की गई।
इंटक नेता ने कहा कि चुंकि नए वेतनमान का भुगतान शुरू हो चुका है, ऐसे में इस पर स्थगन की मांग का कोई औचित्य नहीं था। यही कारण है कोर्ट ने इससे संबंधित याचिका को खारिज कर दिया। इंटक ने नए वेतनमान का भुगतान रोकने का प्रयास और NCWA- XI को रद्द करने की मांग की निंदा की है। इंटक के कार्यकर्ताओं ने इससे आक्रोषित होकर उन अधिकारियों का पुतला भी फूंका है, जिन्होंने इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। श्री सिंह ने कहा कि इंटक कोयला कामगारों के लिए जमीन से लेकर कोर्ट तक की लड़ाई लड़ने हमेशा तैयार है।
यहां बताना होगा कि कोयला कामगारों केे 11वें वेतन समझौते (NCWA- XI) के खिलाफ एसईसीएल के कार्यकारी संवर्ग ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट में 28 जून को याचिका (Case no. WPS/4064/2023) दायर की और कोर्ट ने इस 30 जून को पंजीकृत कर लिया था। बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका पर 3 जुलाई को सुनवाई की तारीख दी थी। इसी तरह जबलपुर हाईकोर्ट में इस संदर्भ में दायर की गई याचिका पर शनिवार को सुनवाई हुई थी। अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तारीख मुकर्रर की गई है। बताया है गया है दिल्ली, कोलकाता, इलाहाबाद, नागपुर हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं।
बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका कार्यकारी संवर्ग के 19 लोगों ने दायर की है। इसमें सचिव हैवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक इंटरप्राइजेस मंत्रालय नई दिल्ली, कोयला मंत्रालय के कोल सेक्रेटरी, कोल इंडिया चेयरमैन, सीआईएल निदेषक (कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध), एसईसीएल सीएमडी एवं जेबीसीसीआई को पार्टी बनाया गया है। हालांकि कोर्ट ने नए वेतनमान के भुगतान पर रोक लगाने से इनकार दिया, लेकिन NCWA- XI की रद्द करने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के लिए 4 सितम्बर की तारीख तय की है।