नई दिल्ली, 23 जून। कोयला कामगारों के 19 फीसदी MGB के मसले को डीपीई के जबड़े से बाहर निकाल कर लाने का काम किया गया है, तो यह कहना गलत नहीं होगा। दरअसल 22 जून को कुछ ऐसा ही हुआ। इस काम को अंजाम देने वाले कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल (Chairman Pramod Agrawal) हैं।
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दूसरी ओर यह भी कहा जा सकता है जिस काम को कोयला मंत्रालय और इसके मंत्री नहीं कर सके, उसे कर दिखाने काम श्री अग्रवाल ने अपने बुते किया है। जग जाहिर है कि 19 जून को 11वें वेतन समझौते (NCWA- XI) को कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी (Coal Minister Pralhad Joshi) द्वारा अनुमोदन किए जाने के बाद भी मंत्रालय ने इसे डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेस (DPE) को सौंपा दिया था।
कोल इंडिया लिमिटेड के आला अफसरों, यूनियन और मीडिया के कुछेक लोगों तक यह बात पहुंची की डीपीई के मुद्दे को लेकर कोयला मंत्री ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की सहमति प्राप्त कर ली है, लेकिन कोयला मंत्रालय द्वारा 20 जून को 11वें वेतन समझौते के एमओयू को आवश्यक कार्यवाही के लिए डीपीई को भेजे जाने के बाद स्पष्ट हुआ कि इस संदर्भ में PMO से किसी प्रकार की कोई सहमति प्राप्त नहीं की गई है।
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इधर, जब सीआईएल चेयरमैन ने देखा कि डीपीई को पत्र लिखे जाने के बाद मामला फंस सकता है, लिहाजा उन्होंने कमर कसी और अपने कमिटमेंट को पूरा करने के लिए उन्होंने कोयला मंत्रालय में डेरा डाल लिया। 22 जून को तो वे मंत्रालय में डटे रहे और डीपीई के नियम कायदों की परवाह किए बगैर उन्होंने मंत्रालय के अफसरों को भरोसे में लिया और 11वें वेतन समझौते के इम्पलीमेंट के लिए उसी डिप्टी सेक्रेटरी दर्शन कुमार सोलंकी से पत्र सीआईएल को पत्र जारी करवा दिया, जिसने एमओयू को आवश्यक कार्यवाही के लिए डीपीई भेज दिया था। मजे की बात यह है कि 22 जून को सीआईएल चेयरमैन को जारी करवाए गए पत्र की कंडिका 4 में यह लिखा गया कि भविष्य में समय- समय पर डीपीई गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। इस पत्र की प्रतिलिपि डीपीई को भी भेजी गई।
क्या DPE की गाइडलाइन का उल्लंघन हुआ?
जानकार बता रहे हैं कि सीआईएल चेयरमैन ने कोयला कामगारों के हित को देखते हुए डीपीई की गाइडलाइन को किनारे कर दिया। उन्होंने मंत्रालय पर प्रेशर बना कर 11वें वेतन समझौते को लागू करवा दिया। दूसरी ओर यह कहा जा रहा है कि डीपीई की गाइडलाइन के वाइलेंस का मामला कहीं कोर्ट पहुंचा तो परेशानी हो सकती है। हालांकि तब तक कोल इंडिया और अनुषांगिक कंपनियों में नए वेतनमान का भुगतान करने की प्रक्रिया हो चुकी होगी। बताया जा रहा है कि अधिकारियों का एक वर्ग, जो कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया से परे विचार रखता है, डीपीई ऑफिस मेमोरेंडम के उल्लंघन को लेकर न्यायालय जा सकता है। हालांकि यह अभी चर्चा में है। हो सकता है इस बीच अधिकारियों के पे- स्केल अपग्रेडेशन को लेकर कुछ निर्णय हो जाए।
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ज्वाइंट सेक्रेटरी ने किया किनारा!
सूत्रों ने जो खबर दी इसके अनुसार कोल इंडिया लिमिटेड के मसलों को देखने वाले कोयला मंत्रालय के ज्वाइंट सेकेटरी बीपी पति ने अंतिम समय पर 11वें वेतन समझौते के मुद्दे से किनारा कर लिया। जबकि वे 19 फीसदी एमजीबी को लेकर डीपीई से लाइजिनिंग का काम कर रहे थे। बताया गया है कि जब उन्होंने देखा कि मसला डीपीई में फंसने जा रहा है, तो वे एक तरफ हो गए। ऐसी स्थिति में सीआईएल चेयरमैन ने मंत्रालय के दूसरे अफसरों के साथ मामले को आगे बढ़ाया।