कोलकाता, 15 मार्च। थैलेसीमिया एवं अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित गरीब बच्चों के इलाज के लिए कोल इंडिया लिमिटेड ने मंगलवार को एक नई पहल की।
कोल इंडिया की ‘थैलेसीमिया बाल सेवा योजना’ के तहत अब मुंबई स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भी गरीब बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट हो सकेगा।
इसके लिए कोल इंडिया लिमिटेड ने कोकिलाबेन अस्पताल के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है।
कोल इंडिया के निदेशक (कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध) विनय रंजन की उपस्थिति में कोल इंडिया के कार्यकारी निदेशक (सामुदायिक विकास) बी. साई राम एवं कोकिलाबेन अस्पताल के सीईओ संतोष शेट्टी ने मुंबई में इस एमओयू पर दस्तखत किए।
एमओयू के तहत सरकार द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट पैनल की अनुशंसा पर कोकिलाबेन अस्पताल में थैलेसीमिया एवं अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित बच्चों के बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन के लिए कोल इंडिया लिमिटेड प्रति बच्चा 10 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता देगी।
गौरतलब है कि कोल इंडिया ने अपनी सीएसआर की फ्लैगशिप ‘थैलेसीमिया बाल सेवा योजना’ की शुरुआत वर्ष 2017 में की थी। इस योजना के तहत 12 वर्ष या उससे कम उम्र के थैलेसीमिया पीड़ित उन बच्चों के इलाज के लिए 10 लाख रूपये तक की आर्थिक सहायता दी जाती है, जिनकी सालाना घरेलू आय 5 लाख रुपये या उससे कम हो।
इसी तरह, इस योजना का लाभ 18 वर्ष या उससे कम उम्र के ऐसे अप्लास्टिक एनीमिया पीड़ित बच्चों को दिया जाता है, जिनकी सालाना घरेलू आय 8 लाख रुपये या उससे कम हो। अप्लास्टिक एनीमिया के इलाज के लिए भी हर बच्चे को 10 लाख रूपये तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।
कोल इंडिया की इस योजना के लिए पहले से देश के 8 प्रतिष्ठित अस्पताल सूचीबद्ध हैं, जिनमें एम्स-दिल्ली, सीएमसी-वेल्लोर, टाटा मेडिकल सेंटर-कोलकाता, राजीव गांधी कैंसर संस्थान-दिल्ली, नारायण हृदयालय-बेंगलुरू, एसजीपीजीआई-लखनऊ, सीएमसी-लुधियाना और पीजीआई-चंडीगढ़ शामिल हैं।
इन अस्पतालों में अब तक कोल इंडिया की इस योजना के तहत 192 बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जा चुका है और इन बच्चों के इलाज पर कोल इंडिया लिमिटेड ने 19 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
अब मुंबई स्थित कोकिलाबेन अस्पताल के शामिल होने से सूचीबद्ध अस्पतालों की संख्या 9 हो गई है। थैलेसीमिया के इलाज के लिए मदद का हाथ बढ़ाने वाली कोल इंडिया देश में सार्वजनिक क्षेत्र की पहली कंपनी है।
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