नई दिल्ली, 28 मई। कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषांगिक कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) में 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की खबर ने खलबली मचा दी है। कोल सेक्टर के श्रमिक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है।
इसे भी पढ़ें : सरकार ने वर्ष 2030 तक 100 MT कोयला गैसीकरण प्राप्त करने का रखा लक्ष्य, राष्ट्रीय खनिज कांग्रेस का शुभारंभ
हालांकि बीसीसीएल की हिस्सेदारी बेचने की सुगबुगाहट करीब दो साल से चल रही है। बीसीसीएल के साथ ही सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (CMPDIL), ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL) और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) की हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव है। सूत्रों की मानें तो नीति आयोग द्वारा इस संदर्भ में योजना बनाई गई है।
बताया गया है कि बीसीसीएल और ईसीएल की देनदारी कहीं ज्यादा है। सीएमपीडीआई को लेकर सरकार का मानना है कि देश में कोयले की पर्याप्त ड्रीलिंग हो चुकी है।
इधर, बताना होगा कि बीते साल जुलाई में हुई जेबीसीसीआई- XI की पहली बैठक में बीसीसीएल और सीएमपीडीआईएल के विनिवेश का मुद्दा उठा था। इस मुद्दे को सीटू नेता और जेबीसीसीआई सदस्य डीडी रामनंदन ने सीआईएल प्रबंधन के समक्ष रखा था। इस पर सीआईएल चेयरमैन ने कहा था कि यह विषय उनके संज्ञान में नहीं है।
इसे भी पढ़ें : BCCL की हिस्सेदारी बेचने का निर्णय वापस लें, नहीं तो ABKMS करेगा उग्र आंदोलन
बीसीसीएल की 25 फीसदी हिस्सदोरी बेचने के सीआईएल बोर्ड के सैद्धांतिक निर्णय पर श्री रामनंदन ने industrialpunch.com से चर्चा में कहा कि इसकी तैयारी बहुत पहले से चल रही है। जब इस मुद्दे को मैंने जेबीसीसीआई की पहली बैठक में उठाया था तब इसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया था। बीसीसीएल की 25 फीसदी हिस्सेदारी बिक गई तो मानकर चलना होगा कि पूरी कंपनी भी बिक जाएगी। केन्द्र सरकार सरकारी कंपनियों को बेच कर खा रही है। बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल में अच्छी गुणवत्ता का कोयला है। इस लिहाज से इसकी कीमत भी अच्छी है।
सोशल मीडिया पर अपडेट्स के लिए Facebook (https://www.facebook.com/industrialpunch) एवं Twitter (https://twitter.com/IndustrialPunch) पर Follow करें …