ग्लासगो में कॉप-26 शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत ने कार्बन उत्सर्जन को 45 प्रतिशत तक कम करने, 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट तक ले जाने, 2030 तक ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से पूरा करने और अंत में 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।
कार्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन का प्रमुख हिस्सा सड़क परिवहन क्षेत्र से आता है, जिसमें सूक्ष्म कणों के उत्सर्जन का एक-तिहाई शामिल होता है।
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परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए, बिजली-चालित वाहनों के उपयोग सहित स्वच्छ परिवहन व्यवस्था को अपनाना सर्वोपरि है। अभिनव व्यावसायिक समाधान, उपयुक्त तकनीक और समर्थन देने वाली अवसंरचना के साथ बिजली-चालित परिवहन व्यवस्था इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का एक व्यावहारिक विकल्प हो सकती है।
कई सहायक पहलों को लागू किया गया है, जैसे भारत में बिजली-चालित (हाइब्रिड) वाहनों को तेजी से अपनाना और इनका विनिर्माण (फेम) I और II, राष्ट्रीय उन्नत सेल (एसीसी) बैटरी भण्डारण कार्यक्रम (एनपीएसीसी) के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, स्वदेशी बैटरी निर्माण क्षमता को बढ़ावा देना आदि। राज्य सरकारें ईवी अपनाने को बढ़ावा देने के लिए पूरक नीतियां विकसित कर रही हैं।
भारत के ई-मोबिलिटी में दोपहिया (2 डब्ल्यू) और तिपहिया (3 डब्ल्यू) वाहनों द्वारा प्रमुख भूमिका निभायी जा रही है। सभी निजी वाहनों में दोपहिया की हिस्सेदारी 70-80 प्रतिशत है, जबकि तिपहिया वाहन शहरों में अंतिम गंतव्य तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ईवी की अग्रिम लागत आम तौर पर आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) की तुलना में अधिक होती है, लेकिन इसकी परिचालन और रखरखाव लागत कम होती है, जिससे बिजली-चालित वाहनों की कुल लागत, आईसीई वाहनों की कुल लागत के लगभग बराबर हो जाती है।
बैटरी अदला-बदली एक विकल्प है, जिसके तहत चार्ज की गई बैटरी के लिए चार्ज ख़त्म हो चुकी बैटरी को बदला जाता है। बैटरी अदला-बदली; वाहन और ईंधन (इस सन्दर्भ में बैटरी) को अलग कर देती है और इस प्रकार वाहनों की अग्रिम लागत को कम करती है। बैटरी अदला-बदली लोकप्रिय रूप से 2 और 3 पहिया जैसे छोटे वाहनों के लिए उपयोग की जाती है, जिनमें छोटी बैटरी होती है और जिनका अन्य वाहनों की तुलना में अदला-बदली करना आसान होता है। अन्य वाहनों में बैटरी अदला-बदली, मशीन के उपयोग से की जा सकती है।
चार्ज करने की तुलना में बैटरी अदला-बदली तीन प्रमुख लाभ प्रदान करती है: यह समय, स्थान और लागत प्रभावी है, शर्त यह है कि प्रत्येक अदला-बदली की जाने वाली बैटरी सक्रिय रूप से उपयोग की जा रही है। इसके अलावा, बैटरी अदला-बदली; ‘बैटरी एक सेवा के रूप में’ जैसे नवोन्मेषी और स्थायी व्यापार मॉडल का अवसर प्रदान करती है।
बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए शहरी क्षेत्रों में जगह की कमी को ध्यान में रखते हुए, माननीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण 2022-23 में घोषणा करते हुए कहा था कि भारत सरकार ईवी इकोसिस्टम की दक्षता में सुधार के लिए बैटरी अदला-बदली नीति और विभिन्न श्रेणियों के लिए परस्पर परिचालन-योग्य मानकों को पेश करेगी।
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नीति आयोग ने फरवरी 2022 में बैटरी अदला-बदली के सन्दर्भ में एक मजबूत और व्यापक नीति की रूपरेखा तैयार करने के लिए अंतर-मंत्रालयी चर्चा का आयोजन किया था। नीति आयोग ने मसौदा तैयार करने से पहले हितधारकों के विभिन्न समूहों, जैसे बैटरी अदला-बदली संचालक, बैटरी निर्माता, वाहन ओईएम, वित्तीय संस्थान, सीएसओ, थिंक टैंक और अन्य विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा की थी।
उचित विचार-विमर्श और संबंधित हितधारकों द्वारा प्रदान किए गए सभी इनपुट पर विचार करने के बाद, नीति आयोग ने बैटरी अदला-बदली नीति का मसौदा तैयार किया है।