केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने राज्यसभा को सूचित किया है कि सरकार ने देश में पुराने कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने की कोई योजना तैयार नहीं की है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने दिनांक 20.01.2023 के एक परामर्श-पत्र के माध्यम से सुझाव दिया है कि भविष्य में अपेक्षित ऊर्जा मांग परिदृश्य और क्षमता की उपलब्धता को देखते हुए 2030 से पहले कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों को बंद करने या लक्ष्यों को बदलने का कार्य नहीं किया जाएगा।
ताप विद्युत संयंत्रों को यह भी सलाह दी गई थी कि वे अपनी इकाइयों के नवीकरण एवं आधुनिकीकरण (आर एंड एम) तथा जीवन विस्तार (एलई) का कार्य वर्ष 2030 या उसके बाद की अवधि तक पूरा करें या ग्रिड में सौर तथा पवन ऊर्जा एकीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए दो पालियों में संयंत्रों का परिचालन करें, जहां संभव हो। विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 7 के अनुसार उत्पादन एक लाइसेंसमुक्त कार्य है और इकाइयों को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने/बंद करने का निर्णय विद्युत उत्पादन कंपनियों द्वारा अपने स्वयं के तकनीकी-आर्थिक और पर्यावरणीय कारणों के आधार पर लिया जाता है।
मंत्री ने यह भी बताया कि उच्च दक्षता प्राप्त करने और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए देश में कार्यरत बड़ी संख्या में ताप विद्युत संयंत्रों ने पहले ही सुपर-क्रिटिकल/अल्ट्रा सुपर-क्रिटिकल प्रौद्योगिकियों को अपना लिया है। वर्तमान में, 65150 मेगावाट की कुल क्षमता की 94 कोयला आधारित ताप संयंत्र सुपर-क्रिटिकल/अल्ट्रा सुपर-क्रिटिकल प्रौद्योगिकियों के साथ कार्य कर रही हैं।
यह जानकारी केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह नेे राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।