बिजली मंत्रालय के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम एनटीपीसी ने महाराष्ट्र के मौदा में भूजल कायाकल्प परियोजना के माध्यम से अपने प्रचालन क्षेत्र के 150 गांवों तथा इसके आसपास के क्षेत्रों को जल संकट से उबरने में सहायता की है।
अपनी सीएसआर पहल के एक हिस्से के रूप में एनटीपीसी मौदा जलयुक्त शिवर योजना, परियोजना की सहायता कर रही है जिसने सफलतापूर्वक मौदा नदी को एक जल अधिशेष तहसील में बदलना संभव बनाया है। यह परियोजना कुछ अन्य संगठनों तथा राज्य सरकार की मदद से आर्ट ऑॅफ लिविंग के महाराष्ट्र विंग द्वारा आरंभ की गई थी।
इससे पूर्व, मौदा नागपुर के सबसे अधिक जल की कमी वाले तहसीलों में एक था। 2017 में आरंभ इस परियोजना ने मौदा, हिंगना और कम्पटी तहसीलों में 200 किमी से अधिक क्षेत्र को कवर किया है। पिछले चार वर्षों में, इससे 150 से अधिक गांवों को लाभ पहुंचा है। एनटीपीसी मौदा ने संबंधित मशीनरी और उपकारणों के ईंधन प्रभारों के लिए 78 लाख रुपये का योगदान दिया है। 1000 एकड़ के क्षेत्र में पांच तालाबों की समान कायाकल्प परियोजना के लिए एनटीपीसी मौदा द्वारा 1 करोड़ रुपये की राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है।
एनटीपीसी मौदा के समूह महाप्रबंधक हरि प्रसाद जोशी ने कहा, ‘हम नजदीक के समुदाय के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और एनटीपीसी मौदा यह सुनिश्चित करेगी कि यह ऐसा करने में अपनी भूमिका निभाए।’
‘जल जहां गिरे, वहीं इसे जमा करो’तकनीक में नदी के पूरे विस्तार में तालाबों तथा नालों का निर्माण शामिल होता है जिससे कि वर्षा जल को एक लंबी अवधि तक रोक कर रखा जा सके। इससे पूर्व, वर्षा जल बह जाता था लेकिन अब इस जल को धीरे-धीरे जमीन में गहरे चले जाने का पर्याप्त समय मिल जाता है। इससे भूजल स्तरों में भारी बढोतरी हुई है।
दो वर्ष पहले तक, इस क्षेत्र के किसान कटाई उपरांत सीजनों के दौरान धान, गेहूं तथा मिर्च जैसी फसलों के लिए पानी पाने के लिए संघर्ष करते थे। अब भंडारित वर्षा जल ने उनकी सहायता की है और उन्हें उनकी फसलों के लिए एक नया जीवन दिया है तथा आय के स्तरों में बढोतरी की है।
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