राज्यसभा में आज विपक्षी सदस्यों ने मजदूर संगठनों की हड़ताल का मुद्दा उठाया। कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वैंकेया नायडू ने वाम दलों और कांग्रेस सदस्यों द्वारा पेश स्थगन प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया।
श्री नायडू ने कहा कि सदस्य इस मुददे को सदन में चर्चा के दौरान उठा सकते हैं। हालांकि उन्होंने सदस्यों को इस मुददे पर संक्षेप में बोलने की अनुमति दी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य जॉन ब्रिटस ने कहा कि देश में लोगों की आजीविका अनिश्चितता की स्थिति में है और सरकार को मजदूर संगठनों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनॉय विश्वम ने भी ऐसे ही विचार प्रकट किये। कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि मजदूर संगठन सार्वजनिक क्षेत्रों उपक्रमों के निजीकरण और श्रम संहिता सहित सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को इन पर ध्यान देना चाहिए।
सभापति ने कीमतों में वृद्धि को लेकर कांग्रेस, डी एम के और कांग्रेस के स्थगन प्रस्तावों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वे इसे वित्त विधेयक 2022 पर चर्चा के दौरान उठा सकते हैं। डी एम के सदस्य तिरूचि सिवा ने कहा कि कीमतों में वृद्धि से आम लोग प्रभावित हो रहे हैं।
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