कोरबा, 01 दिसम्बर। एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना द्वारा खदानों में नियोजित डम्पर सरफेस मशीन माइनर एवं लोडर के परिचालन कार्य को ठेके में दिए जाने का विरोध हो रहा है।
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बताया गया है कि एसईसीएल प्रबंधन ने वोल्टास नामक कंपनी को डम्पर सरफेस मशीन माइनर एवं लोडर के परिचालन के लिए ऑपरेटर आपूर्ति का ठेका दिया है। ठेका कंपनी द्वारा नियुक्त ऑपरेटर्स द्वारा डम्पर इत्यादि भारी मशीनों का परिचालन किया जाएगा। एसईसीएल के इस निर्णय का श्रमिक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है।
23 नवम्बर को कुसमुंडा क्षेत्र के सीटू से सम्बद्ध कोयला श्रमिक संघ के अध्यक्ष शेख बच्चा ने सीजीएम को पत्र भेजकर आपत्ति दर्ज कराई थी। कोयला श्रमिक संघ ने कहा है कि कुसमुंडा परियोजना के 53 मिलियन टन विस्तार स्वीकृति में यह शर्त सम्मिलित है कि खदान का संचालन विभागीय तौर पर ही किया जाएगा। उच्च स्तरीय बैठकों में इस पर कई दफे चर्चा और निर्णय हुआ है। इसके बवाजूद ठेका कंपनी के जरिए ऑपरेटर्स आपूर्ति का निर्णय लिया गया है। संघ ने निर्णय वापस नहीं लेने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
इधर, एक दिसम्बर को बीएमएस से सम्बद्ध भारतीय कोयला खदान मजदूर संगठन के कुसमुंडा क्षेत्र के सचिव अमिया कुमार मिश्रा ने महाप्रबंधक खनन को पत्र लिखकर विरोध जताया है।
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बीएमएस ने कहा है कि इस निर्णय से परियोजना में कार्यरत विभागीय कामगारों का मनोबल टूटेगा। विभागीय ऑपरेटर्स की पर्याप्त संख्या होने के बाद भी ठेका कंपनी को ऑपरेटर आपूर्ति का ठेका देना समझ से परे है। इस निर्णय से श्रम अव्मूलन होगा वहीं कंपनी के ऊपर अनावश्यक वित्तीय बोझ बढ़ेगा। ठेकेदारों की कार्य संस्कृति और कंपनी की कार्य संस्कृति में अंतर है। ठेका ऑपरेटरों को सोशल सिक्योरिटी वेलफेयर एवं एनसीडब्ल्यूए आधारित वेतन का लाभ नहीं मिलेगा। कंपनी के विभिन्न खदानों में जहां आउटसोर्सिंग के माध्यम से मशीन संचालित होती है, वहां देखा गया है कि सेफ्टी और लेबर पॉलिसी का घोर उल्लंघन होता है। कंपनी को यदि डम्पर ऑपरेटर की आवश्यकता है तो एनसीएल की तरह डम्पर ऑपरेटर्स की सीधी भर्ती करे।
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