अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरोसर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एस.एस. काले ने उन मरीजों के परिजनों में अंगदान के प्रति जागरुकता पैदा करने पर जोर दिया है जो किसी दुर्घटना में सिर पर चोट लगने के बाद दिमागी तौर पर मृत घोषित किए जाते हैं।
विश्व मस्तिष्क आघात जागरुकता दिवस के संदर्भ में डॉक्टर काले ने कहा कि दुर्घटनाओं में आम तौर पर 15 प्रतिशत लोगों के सिर पर चोट लगती है और उन्हें अस्पतालों में जांच के बाद दिमागी तौर पर मृत घोषित कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में परिजनों को आगे आकर अंगदान के लिए सहमति देनी चाहिए।
इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टर दीपक कुमार गुप्ता ने कहा कि जिस व्यक्ति को दिमागी तौर पर मृत घोषित किया गया हो उसके अंगों के दान से कम से कम आठ व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती है।