दरअसल ये उनके अपने तनाव को दूर करने का तरीका होता है। मोदी ने छात्रों से परीक्षा में जाने से पहले अपने पेन कॉपी आदि को ठीक करने जैसी परीक्षा से जुड़ी गतिविधियों में एक दो मिनट के लिये खुद को शामिल करने का सुझाव देते हुये कहा कि ऐसा करने से वे परीक्षा जनित तनाव से मुक्ति पा सकेंगे।
तंजानिया से एक भारतीय छात्रा द्वारा परीक्षा से पहले के तनाव से निपटने से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने छात्रों से परीक्षा को बोझ नहीं बनाने का सुझाव देते हुये कहा कि परीक्षा को जिंदगी में बोझ नहीं बनने देना चाहिये।
उन्होंने कहा कि छात्र अगर परीक्षा में अपने काम पर ही खुद को केन्द्रित करें तो अनावश्यक तनाव से मुक्ति मिल सकेगी और इससे उनकी कठिनायी बहुत कम हो जाती है।
मोदी ने छात्रों से परीक्षा में पहले सरल सवालों के जवाब देने का सुझाव देते हुये कहा कि इससे उनका हौसला भी बढ़ता है और कठिन सवालों के जवाब दे पाने का आत्मविश्वास पैदा होता है। उन्होंने कहा कि छात्रों को परीक्षा से बिल्कुल नहीं डरना चाहिये, खासकर नाकाम होने का डर तो कतई अपने मन में नहीं पनपने देना चाहिये। मोदी ने छात्रों को ही इस कार्यक्रम के संचालन की जिम्मेदारी देने के लिये आयोजकों की सराहना की।
कार्यक्रम के अंत में पंजाब की छात्रा हरदीप द्वारा परीक्षा के तनाव के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ”सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं हैं। कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है। ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। मैं माता-पिता से भी आग्रह करूंगा कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि परीक्षा ही सब कुछ है।
इससे पहले समय के सदुपयोग से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में मोदी ने फोन पर समय की बर्बादी का जिक्र करते हुये कहा, ”स्मार्ट फोन आपका जितना समय चोरी करता है, उसमें से 10 प्रतिशत कम करके आप अपने मां, बाप, दादा, दादी के साथ बिताएं। तकनीक हमें खींचकर अपने पास ले जाए, इससे हमें बचना चाहिए। हमारे अंदर ये भावना होनी चाहिए कि मैं तकनीक को अपनी मर्जी से उपयोग करूंगा।
उन्होंने छात्रों से परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम पर आधारित पुस्तक ‘एक्जाम वॉरियर को अगले दो तीन दिनों में पढ़ने की गुजारिश की। मोदी ने कहा कि वह इस पुस्तक को इसलिये पढ़ने के लिये नहीं कह रहे हैं क्योंकि इसे उन्होंने लिखा है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले आप जैसे छात्रों से चर्चा पर ही आधारित है।
मोदी ने छात्रों से जीवन को कुछ करने के सपनों से जोड़ने की अपील करते हुये कहा, ”अगर ऐसा करोगे तो इससे आपको कभी भी परीक्षा का दबाव और तनाव नहीं रहेगा। परीक्षा एक मुकाम है, परीक्षा ही सब कुछ नहीं है। जीवन में आगे जाने का एक मात्र रास्ता परीक्षा ही नहीं है, बल्कि कई अन्य रास्ते भी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम के अंत में इसका आयोजन करने वाले मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ छात्रों, अभिभावकों, स्कूलों तथा राज्यों का भी आभार व्यक्त किया।
उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम में तालकटोरा स्टेडियम में लगभग 200 छात्रों के अलावा वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये देश दुनिया के विभिन्न इलाकों से भी ढेर सारे छात्रों ने शिरकत की।