नई दिल्ली, 21 अक्टूबर। सत्यजीत रेज 1955 की क्लासिक पाथेर पांचाली को एफआईपीआरईसीआई-इंडिया (द इंडियन चैप्टर ऑफ इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म क्रिटिक्स, एफआईपीआरईसीआई) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में अब तक की सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्म का खिताब दिया गया।
ऋत्विक घटक के 1960 के नाटक मेघे ढाका तारा को दूसरे स्थान पर रखा गया, उसके बाद मृणाल सेन की भुवन शोम (1969) को रखा गया। एफआईपीआरईएससी आई ने सभी भाषाओं में भारतीय सिनेमा के इतिहास में शीर्ष 10 फिल्मों को सूचीबद्ध करते हुए ऑल टाइम टेन बेस्ट इंडियन फिल्म्स की एक सूची निकाली।
रे की 1955 की फिल्म पाथेर पांचाली, जो कि विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय के 1929 के इसी नाम के बंगाली उपन्यास पर आधारित है, ने उनके निर्देशन की शुरूआत की।
यह अपू त्रयी की पहली फिल्म भी थी। अब तक की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक के रूप में मानी जाने वाली, पाथेर पांचाली नायक अपू और उसकी बड़ी बहन दुर्गा के बचपन के कष्टों को उनके गरीब परिवार के कठोर ग्रामीण जीवन के बीच दशार्ती है। इसके बाद अपराजितो (1956) और अपुर संसार (1959) आई।
अदूर गोपालकृष्णन की 1981 की मलयालम फिल्म एलिप्पथयम, गिरीश कासरवल्ली की 1977 की फिल्म घटश्रद्धा, और एम. एस. सथ्यू के गर्म हवा ने क्रमश: चौथे, पांच और छठे नंबर पर जगह बनाई।
रे की 1964 की फिल्म चारुलता का नाम इस लिस्ट में सातवां था।
आठवां स्थान श्याम बेनेगल की 1974 की फिल्म अंकुर ने लिया, जबकि गुरु दत्त की प्यासा (1954) और रमेश सिप्पी की शोले (1975) ने क्रमश: नौवां और दसवां स्थान हासिल किया।
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