PLI 2.0 and IT hardware revolution : केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में चेन्नई में भारतीय कंपनी सिरमा एसजीएस की अत्याधुनिक लैपटॉप असेंबली लाइन का उद्घाटन किया। नई असेंबली लाइन में शुरू में सालाना 100,000 लैपटॉप का उत्पादन होगा, जिसकी निर्माण क्षमता अगले 1-2 वर्षों में बढ़कर 10 लाख तक हो जाएगी।
यह पहल आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई 2.0 योजना का हिस्सा है। पीएलआई 2.0 भारत की आईटी हार्डवेयर क्रांति को बढ़ावा दे रहा है, जिसके फलस्वरूप 18 महीनों में 10,000 करोड़ रुपये का उत्पादन और 3,900 नौकरियां पैदा हुईं। सिरमा एसजीएस वर्तमान में चेन्नई में चार विनिर्माण इकाइयों का संचालन करता है, जिसकी यूनिट 3 में अब लैपटॉप उत्पादन शुरू हो गया है।
PLI 2.0
29 मई, 2023 को शुभारंभ किए गए आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) 2.0 का उद्देश्य पात्र कंपनियों को 5 प्रतिशत इंसेंटिव देकर भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इको-सिस्टम को और मजबूत करना है। इस योजना में लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी, सर्वर और अल्ट्रा-स्मॉल फॉर्म फैक्टर डिवाइस जैसे उत्पाद शामिल हैं। 3,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ, पीएलआई 2.0 से 3.5 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन होने और देश भर में 47,000 नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है।
गौरतलब हो, इस योजना ने पहले ही उल्लेखनीय प्रगति हासिल कर ली है, जिसमें कुल निवेश 520 करोड़ रुपये का है और उत्पादन 10,000 करोड़ रुपये का है और इसने दिसम्बर, 2024 तक 3,900 नौकरियां सृजित की हैं।
यह आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप
कल उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक काम करना चाहिए कि आने वाले समय में इलेक्ट्रॉनिक घटक इको- सिस्टम भी विकसित हो। ये न केवल भारत के लिए एक बड़ी विकास कहानी को आगे बढ़ाएगा, बल्कि ये आत्मनिर्भर भारत के हमारे विजन के अनुरूप भी होगा। यह आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा और वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण परिदृश्य में हमारी स्थिति को सुदृढ़ करेगा।
भारत का उभरता इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र
आपको बता दें कि भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ा है, जिसका कुल उत्पादन 2014 में 2.4 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 9.8 लाख करोड़ रुपये हो गया है। अकेले मोबाइल विनिर्माण 4.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि 2024 में निर्यात 1.5 लाख करोड़ रुपये था। भारत में उपयोग किए जाने वाले 98 प्रतिशत मोबाइल फोन अब भारत में निर्मित किए जा रहे हैं और स्मार्टफोन भारत से निर्यात की जाने वाली चौथी सबसे बड़ी वस्तु बन गई है।
तमिलनाडु पीएलआई योजना का सबसे बड़ा लाभार्थी
तमिलनाडु में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की विभिन्न योजनाओं के तहत इस मंत्रालय से समर्थित 47 से अधिक विनिर्माण इकाइयां हैं। यह राज्य बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का सबसे बड़ा लाभार्थी है, जहां पीएलआई 2.0 के तहत स्वीकृत 27 इकाइयों में से सात इकाइयां यहीं स्थित हैं। इस पहल के तहत पहली इकाई का उद्घाटन कल किया गया।
तमिलनाडु की कंपनियों को 1.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन
इसके अलावा, तमिलनाडु को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अर्धचालकों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (एसपीईसीएस) जैसे कार्यक्रमों के जरिए महत्वपूर्ण समर्थन मिला है, जिसमें चार अनुप्रयोगों को एमईआईटीवाई से 1,200 करोड़ रुपये का समर्थन प्राप्त हुआ है और संशोधित विशेष प्रोत्साहन पैकेज योजना (एम-एसआईपीएस) , जिसने 15,000 करोड़ रुपये की निवेश क्षमता वाले 33 अनुप्रयोगों को आकर्षित किया है, जिसे एमईआईटीवाई से 1,500 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त है । इन पहलों ने मिलकर तमिलनाडु की कंपनियों को अब तक 1.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कुल उत्पादन हासिल करने में सक्षम बनाया है।
36,300 नौकरियों के सृजन की उम्मीद
आपको बता दें, यह राज्य श्रीपेरंबदूर के पिल्लईपक्कम गांव में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ईएमसी) का भी घर है, जिसे मेसर्स स्टेट इंडस्ट्रीज प्रमोशन कॉरपोरेशन ऑफ तमिलनाडु (एसआईपीसीओटी) ने स्थापित किया है। केन्द्र सरकार की ओर से 210 करोड़ रुपये की सहायता सहित 420 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ इस क्लस्टर से 8,700 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने और 36,300 नौकरियों के सृजन की उम्मीद है।
तमिलनाडु का भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में लगभग 30% का योगदान
तमिलनाडु भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देता है। यही नहीं नवीनतम आईफोन 16 प्रो “मेड इन इंडिया” है और तमिलनाडु में निर्मित किया जाता है।
वहीं, सिरमा एसजीएस की लैपटॉप असेंबली लाइन भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स यात्रा में एक नए अध्याय की शुरुआत है। जिसके बाद अब आयात पर निर्भरता कम होगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और विश्व स्तरीय विनिर्माण क्षमताएं बढ़ेंगी।