केन्द्र की मोदी सरकार अब कोयला धारक क्षेत्र ( अर्जन और विकास) अधिनियम 1957 में संसोधन की तैयारी में है। कोल बेयरिंग एक्ट 1957 में संसोधन का मसौदा संसद के इसी सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
इधर, सीबीए 1957 में संसोधन को लेकर विरोध शुरू हो गया है। मंगलवार को श्रमिक संगठन सीटू एवं इससे सम्बद्ध कोयला श्रमिक संघ ने CBA 1957 में संसोधन की जोरदार मुखालफत की। कोल इंडिया सभी अनुषांगिक कंपनियों में प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराया गया। इस एक्ट में बदलाव के खिलाफ दूसरे संगठनों ने भी कमर कसनी शुरू कर दी है।
बताया जा रहा है कि कमर्शियल माइनिंग के तहत नीलाम किए जा रहे कोल ब्लॉक के लिए जमीन अधिग्रहण इत्यादि प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए कोल बेयरिंग एक्ट 1957 में संसोधन किया जा रहा है।
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इससे ग्राम सभाएं और समुदाय की आपत्ति दरकिनार हो जाएंगी और निजी कोल कंपनियों बगैर किसी अड़चन के कोयला खदान के लिए जमीन मिल जाएगी। यानी निजी कंपनियों को भी सरकारी कंपनियों की तरह भूमि लीज पर दी जा सकेगी।
इसके अलावा खनन के नाम पर आधारभूत संरचना जैसे सड़क और रेल लाइन के लिए भी पूर्व अधिग्रहित जमीन का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
बताया गया है कि प्रस्तावित संसोधन वर्ष 2013 में यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून को भी दरकिनार करने का प्रयास है।
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