नई दिल्ली, 25 फरवरी। कोल इंडिया लिमिटिड (सीआईएल) द्वारा बंद पड़ी खदानों को निजी क्षेत्र को सौंपने पर विचार किया जा रहा है। बताया गया है कि ऐसी खदानों की संख्या सौ के करीब है।
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कोयला मंत्रालय के मुताबिक निजी क्षेत्र के साथ गठजोड़ कर उत्पादकता बढ़ाने प्रयास किया जाएगा, ताकि देश के विकास के लिए जरूरी अतिरिक्त ईंधन उपलब्ध हो सके।
बताया गया है कि इस प्रस्ताव को लेकर कोल इंडिया लिमिटेड ने एक बैठक भी की है। इस बैठक में एस्सेल माइनिंग, अडानी एंटरप्राइजेज, टाटा, जेएसडब्ल्यू और जेएसपीएल जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियां शामिल हुईं। इन कंपनियों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है।
यहां बताना होगा कि देश की कोयला जरूरतों को पूरा करने के लिए अभी भी 200 मिलियन टन से ज्यादा कोयला आयात करना पड़ रहा है। केयला मंत्रालय का प्रयास आयात को पूरी तरह खत्म करने का है। कोयला मंत्रालय ने 2024 तक एक बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
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इसी के तहत कॅमर्शियल माइनिंग पर भी जोर दिया जा रहा है। कैप्टिव माइनिंग को लेकर भी नियमों में कई बदलाव किए गए हैं।
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