देश के सरकारी आयुध कारखानों के निगमीकरण को लेकर पांच श्रमिक संगठनों (AIDEF, INDWF, BPMS, NPDEF, AIBDEF) द्वारा ज्वाइंट एक्शन कमेटी के बैनर तले जोरदार मुखालफत की जा रही है। इसे लेकर रक्षा उत्पादन से जुड़े मजदूर और कर्मचारी संघों ने जहां हड़ताल का ऐलान कर दिया है तो वहीं सरकार ने इसे रोकने के लिए अध्यादेश के जरिए एक कानून ही बना दिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद अध्यादेश लागू हो गया है।
इधर, ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने 8 जुलाई को आल इंडिया ब्लैक डे मनाने का निर्णय लिया है। कमेटी ने कानूनी कार्रवाई करने और इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन (ILO) में शिकायत दर्ज करने की बात भी कही है।
यहां बताना होगा कि मोदी सरकार ने Essential Defence Services Ordinance नाम से एक अध्यादेश लागू किया है। इस अध्यादेश में रक्षा उत्पादन से जुड़े संस्थानों को आवश्यक रक्षा सेवा की श्रेणी में लाया गया है। अध्यादेश में आवश्यक रक्षा सेवा के अंतर्गत आने वाले संस्थानों को परिभाषित किया गया है। अध्यादेश के मुताबिक अगर ऐसे संस्थानों में हड़ताल करने की कोशिश की जाती है तो उसे गैर कानूनी माना जाएगा।
अध्यादेश के प्रावधानों में इस गैर कानूनी काम में शामिल होने वाले व्यक्तियों के लिए जेल की सजा का प्रावधान किया गया है.।ऐसा करने वाले व्यक्ति के लिए अध्यादेश में एक साल की सजा और दस हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। इतना ही नहीं , अगर कोई व्यक्ति किसी और व्यक्ति को हड़ताल करने के लिए उकसाता है तो उसके लिए दो साल की सजा और पंद्रह हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
यहां बताना होगा कि पिछले माह 16 तारीख को हुई कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने सभी 41 कारखानों को 7 निगमों में बांटने का फैसला लिया है। सरकार का दावा है कि इस फैसले से इन कारखानों को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी ताकि विश्व स्तर का आधुनिक हथियार तैयार हो सके। जबकि रक्षा क्षेत्र में काम कर रहे मजदूर संगठनों का दावा है कि मोदी सरकार इस कदम के बहाने इन कारखानों का निजीकरण कर रही है। इन संगठनों ने 26 जुलाई से सभी कारखानों में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। इन कारखानों में करीब 80,000 कामगार हैं।
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