नई दिल्ली, 20 दिसम्बर। राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू ने वित्त मंत्री से गैर-कार्यकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि से संबंधित सवाल किया। वित्त मंत्री से पूछा गया कि सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य करने वाले सभी गैर-कार्यकारी कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग का गठन नहीं किए जाने के क्या कारण हैं? एक ही सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य करने वाले अधिकारियों की वेतन वृद्धि तो वेतन संशोधन समिति द्वारा तय की जाती है जबकि गैर-कार्यकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि यूनियनों और प्रबंधन के बीच सौदेबाजी द्वारा किये जाने के क्या कारण हैं? क्या एक ही पीएसयू में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन एवं भत्तों में वृद्धि का प्रतिशत समान रूप से निर्धारित किया जाता है, यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?
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वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड ने निम्न जवाब प्रस्तुत किया :
परंपरा के अनुसार सरकार द्वारा निर्धारित व्यापक मानदण्डों के अंतर्गत ट्रेड यूनियन/एसोसिएशन और संबंधित सीपीएसई के प्रबंधन के बीच हुए वेतन समझौते के अनुसार केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) के संघीकृत कामगारों/कर्मचारियों (गैर-कार्यकारी कर्मचारियों) के वेतन में संशोधन किया जाता है।
दिनांक 01.01.1992 से प्रभावी वेतन संशोधन को मंजूरी देते हुए, सरकार ने फैसला किया कि सीपीएसई के अधिकारियों और गैर-संघबद्ध पर्यवेक्षकों का अगला वेतन संशोधन दिनांक 01.01.1997 से प्रभावी होगा और एक समिति की सिफारिशों के आधार पर होगा ताकि समानता और निष्पक्षता का तत्व लाया जा सके। इस निर्णय के अनुसरण में, सरकार ने दिनांक 10.12.1996 के संकल्प द्वारा प्रथम वेतन संशोधन समिति (पीआरसी) की स्थापना की। तब से वेतन, परिलब्धियों प्रोत्साहन और उन्हें उपलब्ध अन्य लाभ को ध्यान में रखते हुए बोर्ड स्तर के अधिकारियों, बोर्ड स्तर से नीचे के अधिकारियों और सीपीएसई में गैर-संगठित पर्यवेक्षी कर्मचारियों के लिए वेतनमान, भत्ते, अनुलाभ और अन्य लाभों की संरचना की समीक्षा करने के लिए और उन बदलावों का सुझाव देने के लिए जो वांछनीय, व्यवहार्य और वहनीय हो सकते हैं , के लिए दो और पीआरसी का गठन किया गया है।
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एक ही सीपीएसई में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में वृद्धि का प्रतिशत समान रूप से निर्धारित नहीं किया जाता है क्योंकि कर्मचारियों के दोनों सेट अलग-अलग इकाई हैं और समय-समय पर सरकार द्वारा जारी वेतन संशोधन के नियमों/अनुदेशों के अलग- अलग सेटों द्वारा शासित होते हैं। संघीकृत कामगारों/कर्मचारियों के वेतन संशोधन और कार्यपालकों तथा गैर-संघीकृतों के वेतन संशोधन की आवधिकता भी भिन्न-भिन्न होती है।