रेलवे ने अपने करोड़ों रुपये की बचत करने का नया तरीका निकाल लिया है। इसके लिए रेलवे ने एक नई योजना तैयार की है। इस योजना के तहत जहां रेलवे में डीजल की खपत कम होगी वहीं रेलवे के दूसरे विभागों में कर्मचारियों की कमी भी पूरी हो जाएगी।
नई योजना के तहत रेल प्रशासन ट्रेनों में डीजल भरने की व्यवस्था अब तेल कंपनियों को सौंपने जा रहा है। इससे रेलवे को डीजल को एडवांस में खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी और कर्मचारियों को तैनात नहीं करना पड़ेगा। जिससे रेलवे को करोड़ों रुपये की आय होगी।वर्तमान में एक फ्यूल स्टेशन पर 30 कर्मचारी तैनात होते हैं।
नया सिस्टम लागू हो जाने के बाद इन कर्मचारियों को दूसरेे विभाग में भेज दिया जाएगा।
रेल प्रशासन ने देश भर में वर्ष 2023 तक सभी रेल मार्ग को विद्युतीकरण करने का लक्ष्य रखा है। उसके बाद अधिकांश मालगाड़ी व ट्रेनों को डीजल इंजन के बजाय इलेक्ट्रिक इंजन से चलाना शुरू कर देगा।
देश भर में 80 फीसद इलेक्ट्रिक और 20 फीसद डीजल इंजन से ट्रेनों व मालगाड़ी का संचालन किया जाना प्रस्तावित है।अब रेलवे ने डीजल के खर्च को कम करने के साथ अन्य मद में बचत करने की योजना तैयार की है।
वर्तमान में रेल प्रशासन तेल कंपनियों सेे एडवांस में डीजल खरीदता है। जिस स्टेशन पर डीजल भरने की व्यवस्था है, वहां रेलवे को कर्मचारी तैनात करना पड़ता है। एक फिलिंग स्टेशन पर न्यूनतम 30 कर्मचारी तैनात किए जाते हैंं। जिस पर न्यूनतम वेतन पर 20 लाख रुपये खर्च करना पड़ता है। रेलवे खर्च कम करने के लिए टोटल फ्यूल मैनेजमेंट (टीएफएम) लागू करने जा रहा है। जिसमें रेलवे तेल कंपनी को डीजल स्टोर करने के लिए जगह उपलब्ध कराएगा।तेल कंपनी इंजन में डीजल भरने के लिए अपने कर्मचारी तैनात करेगा।
कंपनी इंजन में जितना डीजल भरेगा, उतने डीजल की कीमत रेलवे कंपनी को भुगतान करेगा। मुरादाबाद रेल मंडल में मुरादाबाद व रोजा में इंजन में डीजल भरने के लिए फ्यूल स्टेशन है। इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेन व मालगाड़ी संचालन होने पर दोनों स्थानों पर फ्यूल स्टेशन टीएफएम सिस्टम से काम करेगा।
दोनों स्थानों पर कार्यरत रेलवे के 60 कर्मचारियों को अन्य विभाग में तैनात किया जाएगा। टीएफएम सिस्टम को उत्तर रेलवे में लागू किया जा रहा। मुरादाबाद में मार्च 2022 तक टीएफएम सिस्टम से डीजल भरा जाएगा।
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