रेल दुर्घटनाओं को न्यूनतम स्तर पर ले जाने के लिए रेल प्रशासन का संरक्षा पर विशेष ध्यान है। इसी के चलते झांसी में आधुनिक तकनीक से लैस कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है, जिसमें सबसे सुरक्षित माने जाने वाले यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम से ट्रेनों का नियंत्रण किया जाएगा। इसी साल अक्तूबर में ये कंट्रोल रूम काम शुरू कर देगा।
रेलवे की भविष्य में ट्रेनों की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रतिघंटा तक ले जाने की तैयारी है। इसके लिए आधुनिक सिग्नल प्रणाली तैयार की जा रही है।
इसी के तहत कई स्टेशनों पर इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग का काम भी पूरा कर लिया गया है। जबकि, झांसी रेल मंडल में तीसरी रेल लाइन का काम अंतिम दौर में पहुंच गया है। अब चौथी रेल लाइन के लिए सरकार की ओर से बजट जारी कर दिया गया है।
ऐसे में ट्रेन और ट्रैकों की निगरानी के लिए रेलवे अपनी नियंत्रण प्रणाली को भी अत्याधुनिक बना रहा है। इसी के तहत झांसी में मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय परिसर में नया कंट्रोल रूम स्थापित करने जा रहा है, जिसमें यूरोपियन प्रणाली से ट्रेन और ट्रैकों की निगरानी की जाएगी।
इस प्रणाली से दो ट्रेनों के बीच की सुरक्षित दूरी हमेशा बनी रहेगी। इसके अलावा सिग्नल पासिंग एट डेंजर और ट्रेन की ओवर स्पीडिंग की संभावना भी काफी कम रह जाएगी। इस आधुनिक सिग्नल प्रणाली में मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार के माध्यम से ट्रेनों से लगातार जुड़े रहेंगे।
नए कंट्रोल रूम में छह वीडियो वॉल बनाई जाएगी जाएंगी, जिन पर मंडल के अलग-अलग ट्रैक और उन पर चलने वाली ट्रेनें नजर आएंगी। कंट्रोल रूम में कार्यरत कर्मचारी वीडियो वॉल पर चौबीसों घंटे नजर रखेंगे। इसके अलावा वे ट्रेन स्टाफ के भी लगातार संपर्क में रहेंगे।
जनसंपर्क अधिकारी मनोज सिंह ने बताया कि, नया कंट्रोल रूम इसी साल सितंबर माह में बनकर तैयार हो जाएगा, जिसके जरिये सुरक्षित माने जाने वाले यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम से ट्रेन और ट्रैकों की निगरानी की जाएगी।