नई दिल्ली, 21 जनवरी। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से ताप बिजली घरों के लिए विदेशी कोयला खरीदने को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। हाल ही में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों की विद्युत कंपनियों को पत्र भेज कोयले की संभावित कमी के चलते विदेशी कोयले की खरीद शुरु करने के निर्देश दिए हैं।

ऊर्जा मंत्रालय ने सभी ताप बिजली घरों को कुल क्षमता का छह फीसदी विदेशी कोयला खरीदने के लिए कहा है। राज्यों के बिजली घरों को ऐसा न करने पर उनके घरेलू कोयले के कोटे में कटौती की चेतावनी दी गयी है। उत्तर प्रदेश में बिजली उत्पादन निगमों के बिजली घरों के विदेशी कोयला खरीदने की दशा में 11000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय कोयला सचिव के पत्र व लोकसभा में कोयला मंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य की रिपोर्ट जारी कर कहा है कि देश में कोई. कोयले की कमी नहीं है।

परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा के मुताबिक खुद देश के कोयला मंत्री ने एक महीने पहले किसी तरह की कमी न होने की बात कही है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा जहां घरेलू कोयला लिंकेज के आधार पर राज्यों को 2500 प्रति टन से लेकर 3500 रुपये प्रति टन के बीच में प्राप्त होता है।

वहीं विदेशी कोयला लगभग 20000 रुपये प्रति टन में प्राप्त होगा। इसके चलते न केवल बिजली दरें बढ़ेंगी बल्कि ऊर्जा निगमों का घाटा भी बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि कोयला उत्पादन नवंबर 2022 तक देश में पिछले वर्ष की इस अवधि के मुकाबले 17 फीसदी ज्यादा रहा है। केंद्रीय कोयला सचिव अमृतलाल मीणा की तरफ से 13 जनवरी, 2023 को जो देश के केबिनेट सचिव को कोयले के बारे में जानकारी भेजी गई है उसमें यह स्पष्ट किया गया है कि दिसंबर 2022 के महीने में घरेलू कोयले का उत्पादन 828 लाख टन रहा है जो दिसंबर 2021 में 749 लाख टन था।

इतना ही नहीं दिसंबर 2022 में बिजली घरों को साल 2021 के मुकाबले 4.49 फीसदी अधिक कोयला भेजा गया। इसके बावजूद ऊर्जा मंत्रालय विदेशी कोयला खरीदने के लिए दबाव बना रहा है। परिषद अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री से इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाने का अनुरोध किया है।

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